एम.एससी. और पीएच.डी. उपाधियां प्रदान करने के लिए चलाए जाने वाले नियमित स्‍नातकोत्‍तर पाठ्यक्रमों के अतिरिक्‍त यह संस्‍थान राज्‍य के विभागों, अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्‍थानों व अन्‍य कार्यालयों और स्‍वयत्‍तशासी संगठनों में कार्यरत् कृषि वैज्ञानिकों व प्रसार कर्मियों के लाभ के लिए कृषि में विशिष्‍ट विशेषज्ञ विषयों पर पुनश्‍चर्या पाठ्यक्रमों तथा अल्‍पकालीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की सुविधाएं प्रदान करता है।

 

टिप्‍पणी : सामान्‍यत: अन्‍य संस्‍थानों के स्‍नातक उपाधि के लिए अध्‍ययन कर रहे छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करने का अनुरोध संस्‍थान द्वारा स्‍वीकार नहीं किया जाता है।

 

वर्ष के दौरान प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित रोस्‍टर
      किसी वित्‍तीय वर्ष के दौरान संस्‍थान द्वारा आयोजित किए जाने वाले पाठ्यक्रमों की अनन्तिम तिथियों और अवधि के संबंध में प्रत्‍येक वर्ष मार्च के प्रथम सप्‍ताह में निर्णय लिया जाता है और इसे प्रत्‍येक वर्ष 15 मार्च तक परिचालित कर दिया जाता है। यह संस्‍थान निम्‍न कार्यक्रम नियमित आधार पर आयोजित करता है :
     
मृदा परीक्षण : मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विज्ञान संभाग द्वारा सितम्‍बर के महीने में एक माह की अवधि का

खुम्‍भी की खेती : पादप रोगविज्ञान संभाग में अक्‍तूबर महीने के दौरान

 

      इसके अतिरिक्‍त पादप रोगविज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, कृषि अर्थशास्‍त्र, कृषि प्रसार और जैव रसायन विज्ञान जैसे विषयों में प्रगत्‍त अध्‍ययन केन्‍द्र के तत्‍वावधानों के अन्‍तर्गत तदर्थ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् तथा अन्‍य संगठनों की वित्‍तीय सहायता से शरद्कालीन प्रशिक्षण व ग्रीष्‍मकालीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्‍त राज्‍य/केन्‍द्र सरकार के विभागों व स्‍वयत्‍तशासी निकायों द्वारा प्रायोजित विभिन्‍न विषयों में अनेक अल्‍पकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

 

प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की क्रियाविधि (जॉल समिति की अनुशंसाओं पर आधारित भा.कृ.अ.प. दिशा-निर्देशों के अनुसार)

  • प्रशिक्षण कार्यक्रम (मों) की विषयवस्‍तु (ओं) के :
  • उद्देश्‍यों को स्‍पष्‍ट रूप से परिभाषित करना
  • प्रत्‍येक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम-निदेशक अथवा पाठ्यक्रम-समन्‍वयक की पहचान करना

      पाठ्यक्रम-निदेशक स्‍वयं संस्‍थान का निदेशक हो सकता है या कोई अन्‍य वरिष्‍ठ वैज्ञानिक/प्रधान वैज्ञानिक हो सकता है। पाठ्यक्रम-निदेशक का चयन प्रशिक्षण आयोजित करने की ऐसे अधिकारी की प्रवृत्ति और प्रशिक्षण की विषयवस्‍तु में उसकी सक्षमता पर निर्भर करता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता अधिकांशत: उपयुक्‍त पाठ्यक्रम-निदेशक के चयन पर निर्भर करती है।

 

पाठ्यक्रम-निदेशक के कार्य
      पाठ्यक्रम-निदेशक के रूप में चयन होने के पश्‍चात् उस पर निम्‍नलिखित उत्‍तरदायित्‍व होता है।

  1. संसाधन पत्र तैयार करना तथा पाठ्यक्रम की विषयवस्‍तु तैयार करने के लिए विशेषज्ञों/प्रशिक्षकों के उपयुक्‍त दल का चयन करना। ये विशेषज्ञ/प्रशिक्षक उस संस्‍थान के हो सकते हैं जहां प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाना है या किसी अन्‍य संस्‍थान के हो सकते हैं अथवा भा.कृ.अ. परिषद् प्रणाली के बाहर के भी हो सकते हैं। प्रशिक्षण कार्य सौंपने के लिए प्रत्‍याशी की   प्रतिभा निर्णय लेने का एकमात्र आधार होता है। तथापि किसी भी विशेषज्ञ/प्रशिक्षक को तीन से अधिक व्‍याख्‍यान देने का कार्य नहीं सौंपा जाना चाहिए।
  2. प्रत्‍येक प्रशिक्षक/विशेषज्ञ को प्रशिक्षण के उसके कार्य से संबंधित विशिष्‍ट पाठ्यक्रम विषयवस्‍तु तैयार करने का कार्य सौंपना
  3. साथी प्रशिक्षकों/विशेषज्ञों के परामर्श से प्रशिक्षण कार्यक्रम की अनुसूची तैयार करना और प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित प्रत्‍येक मद के लिए समय निश्चित करना।
  4. प्रशिक्षार्थियों से उचित फीडबैक प्राप्‍त करने के लिए साथी प्रशिक्षकों/विशेषज्ञों से सौंपे गए कार्य तथा मूल्‍यांकन पत्र तैयार करवाना
  5. प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए अनन्तिम बजट तैयार करना। इस आकलन में ओवरहैड प्रभारों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
  6. प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के उद्देश्‍यों, विशेषताओं, संकाय सदस्‍यों, पाठ्यक्रम शुल्‍क, प्रवेश की पात्रता हेतु शर्तों, पाठ्यक्रम की अवधि, पाठ्यक्रम आरंभ होने की तिथि, प्रशिक्षण अनुदेश के माध्‍यम और प्रशिक्षार्थियों के आवास एवं भोजन की व्‍यवस्‍था का उल्‍लेख करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम का ब्रॉशर तैयार करना।
  7. नामित प्रत्‍याशियों में से प्रवेश हेतु उपयुक्‍त प्रत्‍याशियों का चयन करना
  8. पाठ्यक्रम सामग्री, प्रशिक्षार्थियों की सूची, ब्रॉशर आदि को निदेशक की स्‍वीकृति हेतु प्रस्‍तुत करना

प्रवेश की पात्रता की शर्तें
      प्रशिक्षण के लिए प्रत्‍याशियों की शैक्षणिक उपलब्धियों और अनुभव अथवा उसके सरकारी पद का न्‍यूनतम स्‍तर प्रशिक्षण के पहले ही निश्चित कर लिया जाना चाहिए। यह इसलिए भी आवश्‍यक है कि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रशिक्षार्थी शिक्षण सामग्री की विषयवस्‍तु को भली प्रकार समझ सके और न केवल अपने साथी प्रशिक्षार्थियों के साथ खुलकर चर्चा कर सके बल्कि प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों/विशेषज्ञों से भी सुचारू रूप से विचारों का आदान-प्रदान कर सके।

 

प्रशिक्षार्थी समान समूह के होने चाहिए
      जहां तक संभव हो, योग्‍यताओं, अनुभव, ज्ञान के आधार आदि की दृष्टि से प्रशिक्षार्थियों को समान समूह का होना चाहिए।

 

कक्षा में प्रशिक्षार्थियों की संख्‍या
      प्रशिक्षार्थियों की संख्‍या न्‍यूनतम 5 और अधिक से अधिक 20-30 होनी चाहिए।

 

प्रशिक्षार्थियों का चयन
      जिन मामलों में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु आवेदनों की संख्‍या निर्धारित सर्वाधिक 30 की संख्‍या से अधिक हो जाती है, उन मामलों में प्रशिक्षार्थियों का चयन साफ-सुथरा, उद्देश्‍यपूर्ण और बिना किसी भेदभाव के किया जाना चाहिए।

 

प्रशिक्षण केन्‍द्र का चयन
      जिस प्रशिक्षण केन्‍द्र को चुना जाए वहां कक्षा के लिए उपयुक्‍त स्‍थान, प्रयोगशाला, पुस्‍तकालय, फार्म आदि की सुविधाएं होनी चाहिए तथा इसके साथ-साथ प्रशिक्षार्थियों के भोजन व आवास के लिए छात्रावास भी होना चाहिए।

 

भोजन व आवास
      किसी छात्रावास में प्रशिक्षार्थियों के भोजन और आवास की सुविधा होना अनिवार्य है। ऐसा इसलिए भी आवश्‍यक है कि प्रशिक्षार्थी प्रशिक्षण के लिए समय पर उपस्थित हों, प्रशिक्षण के बारे में परस्‍पर अनौपचारिक चर्चा कर सकें और आपस में विचार-विमर्श कर सकें। इसके साथ ही विशेष व्‍याख्‍यानों को सुनने और प्रशिक्षण के दौरान सौंपे गए कार्य को पूरा करने के लिए ऐसी सुविधा होने पर प्रशिक्षार्थियों को पर्याप्‍त समय मिल जाता है।

 

बजट
      संस्‍थान के निदेशक की स्‍वीकृति से पाठ्यक्रम निदेशक द्वारा प्रशिक्षण की लागत का अनन्तिम आकलन तैयार किया जाता है। यह बजट पैरा 1.5 में दिए गए मॉडल प्रभारों को ध्‍यान में रखकर तैयार किया जाना चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसमें संस्‍थान के सभी व्‍ययों को पूरी तरह शामिल कर लिया गया हो। आकलन में निम्‍न को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए :

  1. संस्‍थागत प्रभार
  2. मॉडल प्रभारों के आधार पर संसाधन व्‍यक्तियों (भा.कृ.अ.परिषद के स्‍टाफ या बाहरी विशेषज्ञों) के लिए मानदेय तथा सहायी कर्मचारियों के लिए मानदेय
  3. मॉडल प्रभारों के अनुसार पाठ्यक्रम निदेशक के लिए एकमुश्‍त पारिश्रमिक
  4. प्रशिक्षण की अवधि के दौरान प्रशिक्षार्थियों के आवास और भोजन से संबंधित प्रभार
  5. प्रशिक्षण कार्यक्रम के एक भाग के रूप में प्रशिक्षार्थियों के लिए उपलब्‍ध कराई गई परिवहन सुविधाओं की लागत
  6. ओवरहैड प्रबंधन प्रभार जो सामान्‍यत: कुल लागत का लगभग 30 प्रतिशत होता है।

पाठ्यक्रम का शुल्‍क
      मॉडल प्रभारों के अनुसार पूर्ववर्ती पैरा में दर्शाए गए आकलनों के आधार पर पाठ्यक्रम शुल्‍क तय किया जाना चाहिए। इस पाठ्यक्रम शुल्‍क को प्रशिक्षण के लिए नामांकन आमंत्रित किए जाने वाले परिपत्र में स्‍पष्‍ट रूप से उल्लिखित किया जाना चाहिए। यह पाठ्यक्रम शुल्‍क प्रत्‍येक प्रशिक्षार्थी द्वारा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आरंभ होने के पूर्व अदा किया जाना चाहिए तथा हर हाल में प्रशिक्षण आरंभ होने के पूर्व इसका भुगतान हो जाना चाहिए। भुगतान संस्‍थान के निदेशक के पक्ष में देय डिमांड ड्रॉफ्ट द्वारा किया जाना चाहिए।

 

मॉडल प्रशिक्षण प्रभार
विदेशी प्रत्‍याशियों के लिए (अमेरिकी डॉलर)

  1. आवास एवं भोजन                                    वास्‍तविक, कम से कम 50 अमेरिकी डॉलर प्रति प्रशिक्षक प्रति दिन
  2. प्रशिक्षण सामग्री                                          100 अमेरिकी डॉलर प्रति प्रशिक्षक             
  3. लेखन सामग्री                                              50 अमेरिकी डॉलर प्रति प्रशिक्षक
  4. (क)   संसाधन व्‍यक्तियों के लिए मानदेय            50 अमेरिकी डॉलर प्रति प्रशिक्षक
    (ख)   सहायी कर्मचारियों के लिए मानदेय          10 अमेरिकी डॉलर प्रति प्रशिक्षक
  5. यात्रा लागत                                                 200 अमेरिकी डॉलर प्रति प्रशिक्षक 
  6. पाठ्यक्रम-निदेशक को मानदेय                        400 अमेरिकी डॉलर प्रति पाठ्क्रम
  7. संस्‍थागत प्रभार                                           300 अमेरिकी डॉलर प्रति प्रशिक्षक

      पाठ्यक्रम में सामान्‍यत: दो सप्‍ताह की अवधि के लिए 20 प्रशिक्षक लिए जाने चाहिए।

 

भारतीय प्रत्‍याशियों के लिए

  1. आवास एवं भोजन                                     वास्‍तविक, कम से कम 200 रूपये प्रति प्रशिक्षक प्रति दिन
  2. प्रशिक्षण सामग्री                                       1000 रूपये प्रति प्रशिक्षक              
  3. लेखन सामग्री                                           500 रूपये प्रति प्रशिक्षक
  4. (क)   संसाधन व्‍यक्तियों के लिए मानदेय         1000 रूपये प्रति व्‍याख्‍यान, सर्वाधिक
    (ख)   सहायी कर्मचारियों के लिए मानदेय        200 रूपये प्रति प्रशिक्षक
  5. यात्रा लागत                                               5000 रूपये प्रति प्रशिक्षक 
  6. पाठ्यक्रम-निदेशक को मानदेय                      5000 रूपये प्रति पाठ्क्रम
  7. संस्‍थागत प्रभार                                         1000 रूपये प्रति प्रशिक्षक

      पाठ्यक्रम में सामान्‍यत: दो सप्‍ताह की अवधि के लिए 30 प्रशिक्षक लिए जाने चाहिए।

 

प्रत्‍येक मामले में अलग-अलग निर्धारित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की लागत

पूर्ववर्ती पैरों में उल्लिखित मॉडल प्रभार बल्‍क लाइन प्रभार है। निदेशक प्रत्‍येक मामले में प्रशिक्षण की लागत अलग-अलग निर्धारित कर सकता है। तथापि इन लागतों में संस्‍थान द्वारा होने वाले समस्‍त व्‍यय पूर्णरूप से शामिल होने चाहिए।

 

संस्‍थागत प्रभार
संस्‍थानगत प्रभार के रूप में अर्जित की गई राशि का उपयोग संस्‍थानों को अपनी क्षमता और अधिक बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए जिसकी सूचना भा.कृ.अ.परिषद् मुख्‍यालय को दी जानी चाहिए। संस्‍थान में इसके लिए एक अलग से लेखाशीर्ष रखा जाना चाहिए। संस्‍थान के निदेशक को उपरोक्‍त उद्देश्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए इस धन-राशि के उपयोग का अधिकार होना चाहिए।

 

प्रशिक्षण कार्यक्रम में विदेशी प्रत्‍याशियों की भागीदारी
      एफएओ, यूएसएआईडी, आईडीआरसी, ब्रिटिश काउंसिल, कॉमनवेल्‍थ सेक्रेटरीयेट, यूनेस्‍को, विश्‍व बैंक, आईएफसी, यूएनडीपी, आईएमएफ तथा अन्‍य मान्‍यता प्राप्‍त संगठनों द्वारा प्रायोजित विदेशी प्रत्‍याशी तथा अपने-अपने देशों के द्वारा प्रायोजित प्रत्‍याशी भी संस्‍थान द्वारा चलाए जाने वाले प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भाग ले सकते हैं। तथापि इसके लिए भा.कृ.अ.परिषद् मुख्‍यालय की पूर्व अनुमति ली जानी चाहिए। जिन मामलों में कोलम्‍बों प्‍लान, आईटीईसी, सांस्‍कृतिक विनिमय कार्यक्रमों जैसी योजनाओं के अन्‍तर्गत भारत सरकार द्वारा प्रत्‍याशी प्रायोजित किए जाते हैं उन मामलों में जहां परिषद् आवश्‍यक समझे, संस्‍थागत प्रभारों को छोड़कर पाठ्यक्रम शुल्‍क उपयुक्‍त रूप से कम किया जा सकता है। द्विपक्षी समझौतों के अन्‍तर्गत प्रायोजित किए गए प्रत्‍याशियों के मामले में प्रशिक्षण प्रभार दोनों पक्षों की आपसी सहमति से, और यदि आवश्‍यक हो तो भारत सरकार की प्रतिबद्धता को ध्‍यान में रखकर निर्धारित किया जाना चाहिए।

 

      विदेशी प्रत्‍याशियों से प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश के आवेदन किसी भी स्थिति में सीधे-सीधे स्‍वीकार नहीं किए जाएंगे।

 

      पूरी तरह भरे गए प्रोफार्में की एक प्रति उस उप-महानिदेशक, भा.कृ.अ.परिषद् को अग्रेषित की जानी चाहिए जिसके प्रशासनिक नियंत्रण में संस्‍थान कार्यरत् है और जहां प्रशिक्षण आयोजित किया जाना है, ताकि महा-निदेशक, भा.कृ.अ. परिषद् की स्‍वीकृति ली जा सके।

 

प्रशिक्षण की समाप्ति पर प्रमाण पत्र जारी करना
      प्रत्‍येक प्रशिक्षार्थी का निष्‍पादन कक्षा में हुई परिचर्चाओं में उसकी भागीदारी, उसे सौंपे गए कार्य को किए जाने आदि के आधार पर देखा जाता है। प्रशिक्षण समाप्‍त होने पर प्रत्‍येक प्रशिक्षार्थी को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।

 

प्रशिक्षार्थियों द्वारा प्रशिक्षण का मूल्‍यांकन
      पाठ्यक्रम की विषयवस्‍तु, प्रयोगात्‍मक कार्य और प्रशिक्षकों की क्षमता के संबंध में प्रशिक्षार्थियों द्वारा पाठ्यक्रम के अंत में मूल्‍यांकन किया जाता है। प्रमाण पत्र वितरित किए जाने के पूर्व प्रशिक्षार्थियों द्वारा किए गए मूल्‍यांकन का विश्‍लेषण किया जाना चाहिए तथा उस पर चर्चा भी की जानी चाहिए। जहां कहीं आवश्‍यक हो प्रशिक्षार्थियों द्वारा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के मूल्‍यांकन के आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

 

मानदेय का वितरण
      पाठ्यक्रम-निदेशक (यदि निदेशक स्‍वयं पाठ्यक्रम-निदेशक न हो तो), प्रशिक्षकों/विशेषज्ञों, सहायी कर्मचारियों, यदि कोई हों तो, को मानदेय की राशि का वितरण आनुपातिक आधार पर निदेशक द्वारा किया जाना चाहिए। यदि निदेशक स्‍वयं पाठ्यक्रम-निदेशक हो तो उसे दिए जाने वाले मानदेय की स्‍वीकृति परिषद् से प्राप्‍त की जानी चाहिए जिसके लिए संस्‍थान द्वारा संबंधित उप-निदेशक को एक स्‍वत: पूर्णरूप से स्‍पष्‍ट टिप्‍पणी/संदर्भ भेजा जाना चाहिए।