"कृषि के क्षेत्र में प्रगत्‍त ज्ञान और समझ के लिए हमारा मिशन"

 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्‍थान के 'मानद विश्‍वविद्यालय' का दर्जा प्राप्‍त करने के पूर्व 1957 तक 903 छात्रों को संस्‍थान की एसोशिएटशिप प्रदान की गई जिसे भारतीय विश्‍वविद्यालयों की एम.एससी. उपाधि के समतुल्‍य मान्‍यता प्राप्‍त थी। संस्‍थान ने फरवरी 2011 तक 4150 छात्रों को पीएच.डी. की और 3237 छात्रों की एम.एससी. की उपाधियां प्रदान की हैं। देश के विभिन्‍न भागों से आने वाले छात्रों के अतिरिक्‍त 300 विदेशी छात्रों ने भी इस संस्‍थान से उपाधियां प्राप्‍त की हैं। संस्‍थान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा अन्‍य संगठनों की आर्थिक सहायता से प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्‍यम से कृषि विज्ञान के विशेषज्ञतापूर्ण क्षेत्रों में अनेक प्रशिक्षण प्रदान किए हैं। संस्‍थान से असंख्‍य कार्मिकों ने कृषि भौतिकी, सूक्ष्‍मजीव विज्ञान, आण्विक विज्ञान, पादप शरीरक्रिया विज्ञान, मृदा विज्ञान तथा जल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्‍त किया है। संस्‍थान ने शिक्षण में उत्‍कृष्‍टता के लिए सर्वश्रेष्‍ठ संकाय पुरस्‍कारों की योजना आरंभ की है। वर्ष 2011 तक संस्‍थान के 82 वैज्ञानिकों को विभिन्‍न विषयों में शिक्षण के सुधार में उनके अथक प्रयासों के लिए सर्वश्रेष्‍ठ संकाय पुरस्‍कार प्रदान किये जा चुके हैं। इन पुरस्‍कारों से संकाय सदस्‍यों को शिक्षण सुधार की प्रेरणा मिली है। पाठ्यक्रमों की नियमित रूप से समीक्षा करके उन्‍हें अद्यतन किया जाता है तथा यहां विशिष्‍ट स्‍तर के पुस्‍तकालय एवं प्रयोगशाला की सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। ये प्रयास संस्‍थान के उन छात्रों की सफलता से झलकते हैं जो राष्‍ट्रीय प्रतियोगिताओं के माध्‍यम से बड़े पैमाने पर विभिन्‍न पदों के लिए चुने जाते हैं। भा.कृ.अ.सं. के छात्र प्रतिभा सूची में लगभग सदैव शीर्ष स्‍थानों पर रहते हैं।

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