मूल रूप से पूसा (बिहार) में 1905 में एक अमेरिकी परोपकारी श्री हेनरी फिप्स की वित्तीय सहायता से स्थापित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान 1936 से नई दिल्ली में कार्य कर रहा है। यह संस्थान अपने वर्तमान स्थल पर पूसा (बिहार) में आए भयंकर भूकंप के कारण क्षति के कारण हुई इमारत की क्षतिग्रस्त होने के फलस्वरूप स्थानांतरित किया गया था। संस्थान के लोकप्रिय नाम (पूसा संस्थान का उद्गम इस संस्थान के पूसा में स्थापित होने को माना जा सकता है|
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान कृषि अनुसंधान, शिक्षा एवं प्रसार का देश का प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है। इसे यूजीसी अधिनियम 1956 के अंतर्गत 'मानद विश्वविद्यालय' का दर्जा प्राप्त है तथा यहां कृषि के विभिन्न विषयों में एम.एससी. व पीएच.डी. की उपाधियां प्रदान की जाती हैं।

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भारतीय कृषि की पिछले 100 वर्षों से अधिक की प्रगति मुख्यत: इस संस्थान द्वारा किए गए अनुसंधानों और यहां से सृजित की गई प्रौद्योगिकियों से जुड़ी हुई है। हरित क्रांति इस संस्थान के खेतों में ही जन्मी थी। सभी प्रमुख फसलों की ऐसी उपजशील किस्मों का विकास जो पूरे देश के व्यापक क्षेत्रों में उगाई जा रही है, उत्पादन प्रौद्योगिकियों का सृजन एवं उनका मानकीकरण, समेकित समेकित नाशकजीव प्रबंध तथा समेकित मृदा-जल-पोषक तत्व प्रबंध इस संस्थान के अनुसंधान की प्रमुख उपलब्धियां रही हैं। संस्थान में ऐसे अनेक कृषि रसायनों पर अनुसंधान करके उन्हें विकसित किया गया है जिनका पेटेंट कराकर लाइसेंसीकृत किया जा चुका है और अब ये देशभर में व्यापक रूप से प्रयोग में लाए जा रहे हैं। पिछले अनेक वर्षों से यह संस्थान राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर कृषि विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में उच्च शिक्षा व प्रशिक्षण का उत्कृष्ट केन्द्र बना हुआ है।


भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की एक झलक

 
 
अमेरिकी परोपकारी, श्री हेनरी फिप्स जिनके उदार दान से 1905 में पूसा, बिहार में संस्थान की स्थापना हुई थी
 
महामहिम केडलस्टन के बैरन कर्जन, भारत के तत्कालीन वायसराय और गवर्नर जनरल ने 1 अप्रैल 1905 को संस्थान का शिलान्यास किया
 
मूल रूप से पूसा, बिहार में स्थापित एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट जिसे इसके लोकप्रिय नाम 'नौलखा' से जाना गया
 
 
एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पूसा, बिहार में प्रयोगशाला में कार्यरत वैज्ञानिक

 

 
संस्थान का पूसा से नई दिल्ली में हस्तांतरण होते हुए
 
 1936 में नई दिल्ली में संस्थान के नए परिसर का उदघाटन
 
 
डॉ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के पूर्व राष्ट्रपति संस्थान के भ्रमण पर
 
 डॉ. एस राधाकृष्णन, भारत के पूर्व राष्ट्रपति संस्थान के भ्रमण पर
 
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू संस्थान में एक छात्र को डिग्री प्रदान करते हुए
 
 
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री संस्थान में मक्का के भुट्टे को प्रशंसापूर्वक देखते हुए
 
श्री मोरारजी देसाई, तत्कालीन केन्द्रीय वित्त्‍ मंत्री, 1963 में संस्थान के दीक्षांत समारोह में
 
संस्थान के हीरक जयंती समारोह में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति  डा. जाकिर हुसैन
 
 
सन् 1965 में संस्थान के दीक्षांत समारोह में श्री सी. सुब्रह्मण्यम, तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री
 
संस्थान के प्रथम डीन  डा. आर.डब्ल्यू.कमिंग्स, डॉ एम.एस.स्वामीनाथन के साथ ज्वार के खेत का निरीक्षण करते हुए
 
प्रतिष्ठित नाभिकीय वैज्ञानिक  डॉ. विक्रम साराभाई, नाभिकीय अनुसंधान प्रयोगशाला के उदघाटन के अवसर पर व्याख्यान देते हुए 
 
 
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती  इंदिरा गांधी संस्थान द्वारा दी गई बीज ग्राम संकल्पना के अंतर्गत जवाहर जौन्ती बीज को-आपरेटिव सोसायटी लिमिटेड का उदघाटन करते हुए
 
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती  इंदिरा गांधी संस्थान की प्रयोगशाला में प्रयोग को देखते हुए 
 
श्री वी.वी. गिरि, भारत के पूर्व राष्ट्रपति और श्री जगजीवनराम पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री संस्थान के दौरे पर
 
 
 श्री वी.एस. माथुर और डॉ. एम.वी राव, संस्थान के गेहूं के खेत में  डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के साथ
 
श्री खान अब्दुल गफ्फार खान (फ्रंटियर गांधी) संस्थान के एक खेत में गुलाब की सुगंध का आनंद लेते हुए। उनके साथ हैं संस्थान के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. रजत डे 
 
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी, संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. बी.पी.पाल को डीएससी की मानद उपाधि प्रदान करते हुए
 
 
आदरणीय मदर टेरेसा, एम सी, संस्थान के 31वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उनके साथ विराजमान हैं तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री डॉ बलराम जाखड़। इनसेट : मदर टेरेसा संस्थान में विकसित कुछ फील्ड फसलों की किस्मों का विमोचन करते हुए
 
डॉ नॉर्मन ई. बोर्लाग (बाएं से दूसरे) संस्थान के  34 वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे
 
डा. ए पी जे अब्दुल कलाम, केन्द्रीय रक्षा मंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार (और भारत के पूर्व राष्ट्रपति) संस्थान के 37वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर एक पुस्तक का विमोचन करते हुए
 
 
डॉ. एस नागराजन, पूर्व निदेशक, (बीच में) भा.कृ.अ.सं. इस संस्थान के शताब्दी समारोह के शुभारंभ पर अतिथियों का स्वागत करते हुए
  डॉ. मोंटेक सिंह अहलूवालिया, उपाध्यक्ष, योजना आयोग 35 वां लालबहादुर शास्त्री स्मारक व्याख्यान देते हुए  
श्री शरद पवार, केन्द्रीय कृषि मंत्री (दाएं से दूसरे) संस्थान के शताब्दी वर्ष में आयोजित दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में