भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान कृषि अनुसंधान, कृषि में उच्च शिक्षा (स्नातकोत्तर कार्यक्रम) तथा प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख संस्थान है। वर्ष 1998 से इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत मानद विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है और यह कृषि विज्ञानों तथा उनसे संबंधित मूल विषयों में मास्टर ऑफ साइंस और डॉक्टर ऑफ फिलॉस्फी की उपाधियां दिए जाने के लिए प्राधिकृत है।
यहां का छात्र संघ इस संस्थान के नाम पर 'स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र संघ' कहलाता है। यह संघ छात्रों द्वारा चलाया जाता है और छात्रों के लिए है। छात्र सेवा और क्रियाकलापों के बारे में प्रत्येक प्रमुख निर्णय लेते हैं। प्रत्येक वर्ष संघ के लिए चौदह छात्र चुने जाते हैं जिनसे कार्यकारी समिति गठित होती है। यह समिति स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र संघ को चलाने का प्रमुख उत्तरदायित्व निभाती है।
छात्र संघ का उद्देश्य छात्रों द्वारा यहां बिताए गए समय को यादगार, सफल और सुरक्षित बनाना है। संस्थान पर कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का भार है और इस संबंध में इसकी प्रतिष्ठा निरंतर बढ़ रही है। इसके साथ ही छात्र संघ पर भी गुणवत्तापूर्ण मनोरंजन व सेवाएं उपलब्ध कराने का दायित्व है और इस संबंध में इसकी प्रतिष्ठा भी दिनोंदिन बढ़ रही है।
स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र संघ के उद्देश्य व लक्ष्य निम्नानुसार हैं :
सदस्यों के बीच संभाव तथा परस्पर संपर्क में बने रहने की भावना उत्पन्न करना
सदस्यों के सामाजिक व सांस्कृतिक कल्याण को बढ़ावा देना तथा स्नातकोत्तर विद्यालय में खेलकूद संबंधी क्रियाकलापों की गति में तेजी लाना
सदस्यों के बौद्धिक विकास को बढ़ावा देना
सदस्यों के बीच समाज सेवा की भावना उत्पन्न करना
सदस्यों को यह अवसर उपलब्ध कराना कि वे स्वशासन तथा समूह नेतृत्व की कला में स्वयं को प्रशिक्षित कर सकें
विभिन्न राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय छात्र संगठनों के उद्देश्यों व कार्य प्रणालियों के प्रति सदस्यों के बीच चेतना जागृत करना तथा राष्ट्रीय और बौद्धिक स्तर पर स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र के निकाय का प्रतिनिधित्व करना
परस्पर मिलकर, चर्चा करके, और सुझाव देकर तथा यदि आवश्यकता हो तो संबंधित प्राधिकारियों से सम्पर्क करके उन सभी ऐसी समस्याओं के तत्काल हल खोजना जो सदस्यों के सामान्य हितों को क्षति पहुंचा सकती हैं।
स्नातकोत्तर विद्यालय के छात्रों तथा शिक्षण स्टाफ के सदस्यों के बीच घनिष्ठ संपर्क स्थापित करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देना। भा.कृ.अ.सं., नई दिल्ली के स्नातकोत्तर विद्यालय के पूर्व छात्रों तथा एसोशिएटों से संपर्क बनाए रखना।
क्रियाकलाप
उपरोक्त उल्लिखित उद्देश्यों की पूर्ति विभिन्न प्रकार की साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियां जैसे वाद-विवाद, फिल्म प्रदर्शन, निबंध-लेखन प्रतियोगिताएं, शैक्षणिक भ्रमण, खेल और कूद तथा उद्देश्यों से जुड़े अन्य कोई भी कार्य करके की जा सकती है, बशर्ते कि इनमें ऐसी गतिविधियों को शामिल न किया जाए जो किसी सदस्य की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हों अथवा नैतिक आचरण को प्रभावित करती हों जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय व भावनात्मक विखंडन की स्थिति उत्पन्न हो अथवा ऐसी गतिविधि को भी शामिल नहीं किया जाएगा जो संघ के संरक्षक द्वारा अनुमत्य न हो।
संरक्षक
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक व डीन तथा संयुक्त निदेशक (शिक्षा) स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र संघ के क्रमश: मुख्य संरक्षक व संरक्षक हैं।
सदस्यता
1. कोई भी व्यक्ति जो एम.एससी. या पीएच.डी. के छात्र के रूप में स्नातकोत्तर विद्यालय में प्रवेश पाता है, स्वत: ही स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र संघ का सदस्य बन जाता है। इसी प्रकार संस्थान के 'विभागीय' छात्र भी संघ की सदस्यता के पात्र होते हैं।
2. एसोशिएट सदस्य : भा.कृ.अ.सं., नई दिल्ली के स्टाफ का कोई भी सदस्य एसोशिएट सदस्य बनने का पात्र है। तथापि ऐसोशिएट सदस्य मतदान करने का पात्र नहीं होगा।
महासभा
संघ के सदस्य और एसोशिएट सदस्य इस संघ की महासभा होते हैं। यह महासभा संघ का सर्वोच्च शासी निकाय होता है।
कार्यकारी समिति
स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र संघ की कार्यकारी समिति में निम्नलिखित चुने गए पदाधिकारी होते हैं :
1. अध्यक्ष
2. उपाध्यक्ष
3. महासचिव
4. खेल-कूल सचिव
5. वित्तीय सचिव
6. सामाजिक और सांस्कृतिक सचिव
7. विद्वत परिषद् का छात्र प्रतिनिधि पदेन सदस्य होता है और वह पदेन सदस्य के रूप में कार्यकारी समिति की सभी बैठकों में भाग लेता है।
8. पांच कक्षा प्रतिनिधि
9. साहित्यिक सचिव
10. पूर्व छात्र सचिव
कार्यकारी समिति सामूहिक रूप से कार्य करती है और इसके सभी सदस्य सभी मामलों में अध्यक्ष के प्रति उत्तरदायी होते हैं। महासचिव छात्र संघ के मामलों के दिन-प्रति-दिन के प्रबंधन में समिति के प्रमुख कार्यकारी के रूप में कार्य करता है। कार्यकारी समिति के विभिन्न पदाधिकारियों को जो कार्य सौंपे जाते हैं वे दिशा-निर्देश हेतु छात्र संघ के कार्यालय में रिकॉर्ड हेतु रखे जाते हैं।
महासभा के कार्य
1. महासभा के प्रत्येक सदस्य को छात्र संघ के चुनावों में मत देने का अधिकार होगा तथा उन सभी बैठकों में भाग लेना होगा जिनमें मतदान की अपेक्षा हो।
2. छात्र संघ के प्रत्येक सदस्य को छात्र संघ का चुनाव लड़ने का अधिकार होता है।
3. छात्र संघ के प्रत्येक सदस्य को लेखा बहियों, गौण बहियों तथा रिकॉर्ड की जांच करने का अधिकार होता है, बशर्ते कि इसके लिए वह तीन दिन का नोटिस और अपने उद्देश्य की जानकारी छात्र संघ के महासचिव को दे।
4. प्रत्येक सदस्य को छात्र संघ के किसी भी मामले में लिखित प्रश्न पूछने का अधिकार होता है और संघ के कार्यकारी से उसका उत्तर प्राप्त करने का भी अधिकार होता है। ऐसे सभी प्रश्न महासचिव को संबोधित होने चाहिए।
कार्यकारी समिति के कार्य
कार्यकारी समिति के कर्त्तव्यों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं :
1. प्रत्येक वर्ष के लिए ट्राइमेस्टरवार कार्यक्रम तैयार करना और इस कार्यक्रम का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
2. कार्यक्रमों को अन्तिम रूप अलग-अलग पदाधिकारियों से प्राप्त होने वाले प्रस्तावों को ध्यान में रखकर दिया जाता है जो अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं और अंतत: इन क्रियाकलापों के लिए बजट पारित किया जाता है। यह बजट महासभा की विशेष बैठक में प्रस्तुत किया जाता है और बैठक में उपस्थित सदस्यों के सामान्य बहुमत से पारित किया जाता है। कम से कम तीन दिनों की सूचना पर महासभा की विशेष बैठक बुलाई जा सकती है।
3. सचिवों को अपने कर्त्तव्यों के पालन में सहायता करने के लिए, विशेषकर विशेष महत्व के अवसरों पर, जहां आवश्यक हो उपसमिति नियुक्त करने का अधिकार कार्यकारी समिति को होता है।
4. विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के छात्र क्रियाकलापों में स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र संघ का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतिनिधि मण्डल नियुक्त करने का कार्य समिति को करना होता है।
5. स्नातकोत्तर विद्यालय छात्र संघ के उद्देश्यों को और अधिक सबल बनाने के लिए विभिन्न मामलों में निर्णय लेने हेतु अध्यक्ष की सहायता करने का कार्य कार्यकारी समिति का ही होता है।