भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान कृषि अनुसंधान, शिक्षा और प्रसार का देश का एक प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है। प्रथम श्रेणी के अनुसंधान, उचित प्रौद्योगिकियों के सृजन और मानव संसाधन विकास के माध्यम से इस संस्थान ने विज्ञान एवं समाज की उत्कृष्ट सेवा की है। यह संस्थान राष्ट्र की आवश्यकताओं और अवसरों के प्रति प्रभावी रूप से सचेत है तथा इसने परिस्थितियों के अनुसार अपनी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों में समायोजन व सुधार किया है। प्रारंभ में इस संस्थान ने संयुक्त राज्य अमेरिका की लैण्ड ग्रान्ट कॉलिन प्रणाली के अनुसार अपने अनुसंधान, शिक्षा और प्रसार से संबंधित कार्यों का संचालन किया है। वर्ष 1998 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मानद कृषि विश्वविद्यालय घोषित किए जाने के बाद इस संस्थान ने कृषि के विभिन्न विषयों में एम.एससी. और पीएच.डी. कार्यक्रमों की शुरूआत की। तब से अब तक लगातार यह संस्थान भारत के व 30 से अधिक अन्य देशों के अनेक अनुसंधानकर्ताओं को कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण देने में उत्कृष्टता के केन्द्र के रूप में कार्य करता आ रहा है। वर्तमान में यह संस्थान कृषि रसायन, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि अभियांत्रिकी, कृषि प्रसार, कृषि भौतिकी, कृषि सांख्यिकी, सस्यविज्ञान, जैव रसायनविज्ञान, कम्प्यूटर अनुप्रयोग (केवल एम.एससी.), कीटविज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, आनुवंशिकी, औद्यानिकी, सूक्ष्मजीव विज्ञान, आण्विक जीवविज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी, सूत्रकृमि विज्ञान, पादप आनुवंशिक संसाधन, पादप रोगविज्ञान, पादप शरीरक्रिया विज्ञान, कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी, बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विज्ञान तथा जल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषयों में एम.एससी. और पीएच.डी. की उपाधियां प्रदान करता है।
संस्थान के छात्रों को 6 छात्रावासों में रिहायश की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। सभी छात्रावास डब्ल्यूआई-एफआई कनेक्टिविटी के माध्यम से 24x7 इन्टरनेट पहुंच की आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं। इसके अतिरिक्त छात्रों को वाद-विवाद, वैज्ञानिक बैठकों तथा मनोरंजन गतिविधियों जैसे अतिरिक्त क्रियाकलापों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। अब तक 4000 से अधिक पीएच.डी. और 3000 से अधिक एम.एससी. छात्रों ने अपनी उपाधियां प्राप्त की हैं जिनमें से 277 छात्र विदेशी हैं। संस्थान में केन्द्रीय पुस्तकालय सुविधा है तथा यहां कृषि विज्ञानों में राष्ट्रीय पुस्तकालय मौजूद है जहां कृषि विज्ञान के विभिन्न विषयों पर ऑन-लाइन और ऑफ-लाइन जर्नल/साहित्य उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान के लिए मानव संसाधन विकास में भा.कृ.अ.सं. का योगदान अतुलनीय है। इस संस्थान के पूर्व छात्र विश्व के विभिन्न प्रतिष्ठित संगठनों में वरिष्ठ पदों पर आसीन हैं/आसीन रह चुके हैं।