• सभी जटिल प्रक्रियाओं को समझने के उद्देश्य से आधारभूत एवं नीतिपरक अनुसंधान करना, ताकि पर्यावरण के अनुरूप फसल में सुधार किया जा सके और कृषि उत्पादकता को टिकाऊ बनाया जा सके।
 
 
  • कृषि विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षा और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट शिक्षा केन्द्र के रूप में कार्य करना।
 
 
  • संकल्पनाओं और नवीनतम दृष्टिकोणों के माध्यम से कृषि अनुसंधान, प्रसार, प्रौद्योगिकी मूल्यांकन तथा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदान करना और गुणवत्ता व मानक स्थापित करने में पूरे राष्ट्र का मार्गदर्शन करना।
 
 
  • सूचना प्रणालियों का विकास, सूचना का मूल्यवर्धन, रार्ष्टीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूचना का आदान-प्रदान तथा राष्ट्रीय कृषि पुस्तकालय एवं डेटाबेस के रूप में सेवा प्रदान करना।
 

उद्देश्य

अनुसंधान 

 

 
  • कृषि की दृष्टि से महत्वपूर्ण सूक्ष्मजैविक , साइनोबैक्टीरियाई तथा कीट संसाधनों के संरक्षण सहित वैश्विक पादप आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग पर बल देना, ताकि फसलों के कुशल, उत्पादक और स्थायी जीन प्ररूप विकसित किए जा सकें, विशेष रूप से संकरों का विकास तथा बायोएनर्जेटिक्स में सुधार।
 
 
  • अनुसंधान दर्शन, संकल्पनाओं, क्रियाविधियों, सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों का विकास, जिससे कृषि फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता संबंधी प्रक्रियाओं से जुड़े ज्ञान का सृजन हो सके।.
 
 
  • उत्पादन प्रणालियों को और अधिक समझने के लिए प्रणाली दृष्टिकोण, फसल मॉडलिंग, जैव संकेतकों, नाभिकीय युक्तियों, सुदूर संवेदन और जीआईएस का विकास व उपयोग, संसाधनों, पर्यावरण तथा उसकी उपयुक्तता संबंधी अनुसंधान और उन्हें इस प्रकार सुधारना जिससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के जोखिमों को कम किया जा सके और इस प्रकार सम्पूर्ण परिस्थिति विज्ञान एवं सामाजिक-अर्थिक प्रणालियों के संदर्भ में उन्हें अधिक टिकाऊ बनाया जा सके।
 
 
  • प्रतिकूल स्थितियों के अंतर्गत कृषि से जुड़ी समस्याओं एवं उपेक्षित जिंसों की ओर अधिक ध्यान देना।
 
 
  • मूल एवं सामाजिक विज्ञानों से संदर्भित कृषि में उत्कृष्टता का सृजन, आधुनिक विज्ञान तथा पारंपरिक ज्ञान के बीच के संबंधों को सबल बनाना तथा सम्पूर्ण दक्षता में सुधार के लिए प्रबंध विज्ञान एवं संचार प्रणालियों का लाभ उठाना
 
 
 
  • कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी, कृषि प्रसंस्करण, उत्पाद विकास, कृषि जिंसों के मूल्यवर्धन एवं उपयोग संबंधी अनुसंधान, उपोत्पादों, कृषि अपशिष्टों एवं ऊर्जा के पुनर्नव्य स्रोतों का विकास
 
 
  • आण्विक जैविकी तथा जैवप्रौद्योगिकी जैसी नई एवं उभरती हुई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान देना तथा आधुनिक संयंत्रों से युक्त उत्कृष्टता के अंतर-विषयी केन्द्रों की स्थापना और प्रणाली अनुसंधान को प्रोन्नत करना।
 

शिक्षा

 
  • भावी आवश्यकताओं और अवसरों को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक कार्यक्रम में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना, उच्च मानक स्थापित करना और शैक्षणिक कार्यक्रमों को तदनुरूप ढालना।
 
 
  • पाठ्यक्रम में भौतिक, जीवविज्ञानी एवं सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों को सबल बनाना तथा जैवप्रौद्योगिकी, कम्प्यूटर अनुप्रयोग एवं सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यावरण विज्ञान, प्रबंधन विज्ञान एवं कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी तथा कृषि जैवविविधता और आनुवंशिक संसाधनों जैसे अग्रणी विषयों के पाठ्यक्रमों को व्यापकता प्रदान करना।
 
 
  • विशेषकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से नवीन एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में पोस्ट डॉक्टरल अनुसंधान, अनवरत शिक्षा, संकाय उन्नयन एवं मानव संसाधनों के विकास के अवसर उपलब्ध कराना।
 
 
  •  उद्यमशीलता संबंधी निपुणता को बढ़ावा देने एवं कृषि के वाणिज्यिकरण के लिए अनौपचारिक प्रशिक्षण को सबल बनाना।

विस्तार

 
  • नवीन प्रसार मॉडलों का सृजन, उन्हें विकासशील मॉडलों में परिवर्तित करना और क्षेत्रीय केन्द्रों, विश्वविद्यालयों एवं राज्य प्रसार प्रणालियों के माध्यम से उन्हें प्रचारित करना।
 
 
  • उपभोक्ता आधारित ऑन-फार्म अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मूल्यांकन को बढ़ावा देना, भागीदारी दृष्टिकोणों के माध्यम से प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, परिशोधन एवं हस्तांतरण तथा संस्थान-ग्राम सम्पर्क कार्यक्रम को बढ़ावा देना।
 
 
 
  • ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के माध्यम से सामुदायिक अनुसंधान एवं सम्पर्कों के विकास का प्रवर्धन और अंतर-विभागीय एवं भागीदारी दृष्टिकोणों के माध्यम से सूक्ष्म-नियोजन को सबल बनाना।
 

सूचना

 
  • संस्थान के पुस्तकालय को इस प्रकार सबल बनाना कि यह राष्ट्रीय कृषि पुस्तकालय के रूप में कार्य कर सके, इसे इलेक्ट्रॉनिक तथा अन्य आधुनिक युक्तियों से सम्पन्न करना, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, भा.कृ.अ.प. के संस्थानों के पुस्तकालयों तथा अन्य सम्बद्ध केन्द्रों से जोड़ना, कृषि अनुसंधान पर डेटाबेस का निर्माण करना तथा पूरे विश्व में सभी लाभकर्ताओं के साथ उसकी भागीदारी करना।
 
 
 
  • राष्ट्रीय कृषि पर अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास के प्रभाव के विश्लेषण के लिए सूचना का मूल्यवर्धन और उपयोग तथा अनुसंधान अग्रताओं को निर्धारित करना।
 
 
  • आधुनिक सूचना एवं संचार केन्द्र का विकास तथा सूचना के प्रसार संबंधी ज्ञान का विकास करना, इस संबंध में प्रशिक्षण आयोजित करना और अंतर-कार्मिक निपुणता की वृद्धि के लिए संचार को बढ़ावा देना।