परियोजना का नाम | समन्वयक/ प्रधान अन्वेषक | स्थान/संभाग | अवधि |
जैव-प्रौद्योगिकी प्रणाली के अन्तर्गत डिस्ट्रीब्यूटेड इन्फॉरमेशन सेन्टर (डीआईसी) - पादप ऊतक संवर्धन, प्रकाश संश्लेषण और आण्विक जैविकी के विशेष संदर्भ में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में राष्ट्रीय अवसंरचना सुविधा | डॉ. एच. चन्द्रशेखरन् | यू.एस.आई. | 1986 - |
सिट्रस विषाणुओं, वाइरॉयडो तथा हरितिमा कारक जीवाणु की पहचान के लिए नैदानिक किट का विकास | डॉ. वी.के. बरनवाल | पादप रोगविज्ञान | 2005-2010 |
बैगोमोवायरसों की उग्रता का आण्विक विश्लेषण : सेटेलाइट डीएनए की भूमिका | डॉ. जी.वी. मालती | पादप रोगविज्ञान | 2005-2010 |
परम्परागत और आण्विक प्रजनन तकनीकों के माध्यम से सूक्ष्म पोषक तत्वों के लिए गेहूं का जैव-समृद्धिकरण | डॉ. अंजु महेन्द्रू | आनुवंशिकी तथा भा.कृ.अ.सं. | 2005-2010 |
आण्विक प्रजनन के माध्यम से सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध मक्का का विकास | डॉ. बी.एम. प्रसन्ना | आनुवंशिकी | 2005-2010 |
बारानी कृषि में अनाजों के परजीवी सूत्रकृमियों के पराजीनी प्रतिरोध के लिए उत्पादन प्रौद्योगिकियों का विकास | डॉ. उमा राव | सूत्रकृमि विज्ञान | 2006 -2010 |
फॉस्फेट को घोलने वाले जीवाण्विक जैव उर्वरक - तरल संरूप | गीता सिंह | सूक्ष्म जीवविज्ञान | 2006 -2010 |
ऊतक संवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों के विषाणु परीक्षण के लिए संदर्भ केन्द्र | डॉ. आर.के. जैन | पादप रोगविज्ञान | 2006-2011 |
विषाणु प्रतिरोधी पराजीनी फसलों का विकास | समन्वयक : डॉ. अनुपम वर्मा
डॉ. काजल कुमार बिस्वास | पादप रोगविज्ञान
| 2006-2010 |
सूत्रकृमि से संक्रमित भण्डारित कृषि उत्पादों के विसंक्रमण हेतु रेडियो आवर्तता तरंगों के उपयोग पर अन्वेषण | डॉ. एच.एस. गौड़ | सूत्रकृमि विज्ञान | 2007 -2010 |
फसल सुरक्षा के लिए पर्यावरण मित्र बहुरागी सह बहुरूपों का रासायनिक -एन्जाइमी संश्लेषण | डॉ. एन.ए. शकील | कृषि रसायन | 2007-2010 |
गेहूं के पत्ती रतुआ संक्रमण में पोषक - रोगजनक अन्तरक्रिया का विश्लेषण - एक ट्रांसक्रिप्टोमिक दृष्टिकोण | डॉ. के.वी. प्रभु | राष्ट्रीय फाइटोट्रोन सुविधा | 2007-2010 |
समेकित नाशीजीव प्रबंध के उद्देश्य से बैसिलस थूरिनजेन्सिस के कम लागत वाले प्रभावी संरूप का विकास | डॉ. संगीता पाल | सूक्ष्म जीवविज्ञान | 2007-2010 |
दाता वंशक्रमों के रूप में उच्च कार्टिनोयड वाले सुनहरी चावल का उपयोग करके मार्कर सहायी प्रतीप संकरण के माध्यम से प्रोविटामिन-ए से समृद्ध इंडिका चावल की किस्मों का विकास | डॉ. ए.के. सिंह | आनुवंशिकी | 2007-2011 |
करेला (मोमोरडिका केरेन्सिया एल.) में एससीएआर मार्कर तथा आनुवंशिक गुणनिर्धारण व उभयलिंगी विशेषकों को टैग करने के लिए उनका उपयोग | डॉ. टी.के. बेहेरा | शाकविज्ञान | 2007-2010 |
परजीवी जीन लक्ष्यों की पहचान के लिए आरएनएआई का उपयोग करते हुए मेलॉयडोगायने इन्कॉग्नीटा के ईएसटी के क्रियात्मक जीनोमिक्स के माध्यम से नवीन सूत्रकृमि प्रबंध प्रौद्योगिकी की डिज़ाइनिंग | डॉ. उमा राव | सूत्रकृमि विज्ञान | 2008-2011 |
चावल की उपराऊं किस्म नगीना-22 के क्रियात्मक जीनोमिक्स के ईएमएस उत्प्रेरित उत्परिवर्तकों का उपयोग, सृजन व गुणनिर्धारण | डॉ. ए.के. सिंह | आनुवंशिकी | 2007-2012 |
प्रतिजैविकों या एन्टीबॉयोटिक्स के लिए रिकम्बीनेंट लाइब्रेरियों के विकास हेतु कार्यनीति | डॉ. के. अन्नपूर्णा | सूक्ष्म जीवविज्ञान | 2008-2011 |
विषाण्विक संदमनक : जीनोमिक्स, सिनरजिज्म तथा साइलेंसिंग | डॉ. शैली प्रवीण | पादप रोगविज्ञान | 2008-2011 |
मूंगफली में कलिका व तना ऊतकक्षय विषाणु के पराजीनी प्रतिरोध का विकास | डॉ. आर.के. जैन | पादप रोगविज्ञान | 2008-2011 |
अरहर (कैज़ानस कैज़न) में आनुवंशिक लिंकेज मानचित्र का निर्माण तथा झुलसा प्रतिरोध के लिए आण्विक मार्करों की पहचान | डॉ. आर.एस. राजे | आनुवंशिकी | 2008-2010 |
आण्विक मार्करों का उपयोग करके सोयाबीन में जल उपयोग दक्षता हेतु क्यूटीएलएस की टैगिंग | डॉ. संजय कुमार लाल | आनुवंशिकी | 2008-2011 |
पराजीनी फसलों में बढ़े हुए फली छेदक (हैलिकोवर्पा आर्मीजेरा) के प्रतिरोध के लिए बैसीलस थूरिनजेन्सिस के नवीन कीटनाशी क्राइ जीन का निर्माण | डॉ. जी.टी. गुजर | कीटविज्ञान | 2008-2011 |
सोयाबीन में पराजीनी प्रतिरोध के विकास हेतु पीले चित्ती विषाणुओं का क्रियात्मक जीनोमिक्स | डॉ. वी.जी. मालती | पादप रोगविज्ञान | 2008-2011 |
कीट नियंत्रण के लिए फसल पौधों में पिरामिडकृत बीटी जीनों का टिकाऊपन | डॉ. जी.टी; गुजर | कीटविज्ञान | 2008-2010 |
चना (साइसर एरीटिनम एल.) में बीज भार व बीज संख्या के लिए क्यूटीएलएस की पहचान | डॉ. चेलापल्ली भारद्धाज | आनुवंशिकी | 2008-2013 |
ट्राइकोडर्मा आइसोलेडों की पहचान हेतु आण्विक मार्करों का विकास | डॉ. टी. प्रमिला देवी | पादप रोगविज्ञान | 2009-2012 |
अरहर (कैजानस कैजल (एल.) मिलिसपॉव) में बीज उपज संबंधी घटकों के क्यूटीएल की पहचान व मानचित्र जनसंख्या का विकास | डॉ. आर.एस. राजे | आनुवंशिकी | 2009-2013 |
मार्कर सहायी चयन के माध्यम से भारतीय सरसों (ब्रैसिका जुन्सिया) में दोहरे निम्न (कैनोला) किस्म का विकास | डॉ. डी.के. यादव | आनुवंशिकी | 2009-2014 |
ऊतक संवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों के लिए राष्ट्रीय प्रमाण पत्र प्रणाली (एनसीएस - टीसीपी) के अन्तर्गत प्रत्यायित परीक्षण प्रयोगशाला | डॉ. (श्रीमती) राज वर्मा | भा.कृ.अ.सं. क्षेत्रीय केन्द्र, पुणे | 2009-2012 |
भारतीय -कनाडाई दलहन जीनोमिक्स पहल | डॉ. सी. भारद्वाज | आनुवंशिकी | 2009-2012 |
गेहूं की किस्मों में जैविक प्रतिबल प्रतिरोध का आण्विक मार्कर सहायी विकास | डॉ. के.वी. प्रभु डॉ. धर्मपाल | आनुवंशिकी | 2009-2014 |
मार्कर सहायी प्रजनन के माध्यम से चावल में जैविक प्रतिबल प्रतिरोध का विकास | डॉ. ए.के. सिंह | आनुवंशिकी | 2009-2014 |
चावल की किस्मों में लवणता प्रतिबल प्रतिरोध का विकास | डॉ. ए.के. सिंह | आनुवंशिकी | 2009-2013 |
मार्कर सहायी चयन के माध्यम से श्रेष्ठ अन्तर प्रजनकों में एमिनों अम्लों की सीमा को ओर बढ़ाने तथा गुणवत्तापूर्ण प्रोटीन वाली मक्का के सामान्य अन्तर प्रजनकों का त्वरित संरक्षण | डॉ. एच.एस. गुप्त | आनुवंशिकी | 2009-2014 |
कुनिट्ज़ ट्रिप्सिन इन्हीबिटर मुक्त सोयाबीन की किस्मों के विकास हेतु मार्कर सहायी चयन | डॉ. अक्षय तालुकदार | आनुवंशिकी | 2009-2014 |
कुछ महत्वपूर्ण फसलों के बढ़वार प्रवर्धन के लिए बैनाइन सूक्ष्म जैविक कन्सोर्टियम का विकास | डॉ. के. अन्नापूर्णा | सूक्ष्मजीवविज्ञान | 2009-2012 |
मक्का की जड़ों में नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस द्वारा उद्दीप्त ट्रांसक्रिप्टोमिक और मेटाबोलोमिक परिवर्तनों का अध्ययन | डॉ. अल्ताफ़ अहमद/ डॉ. रेणु पाण्डेय | पादप शरीरक्रिया विज्ञान | सितम्बर 20-- से अगस्त 20-- |
चिटनोलिटिक सूक्ष्म जीवों का जैव संदर्भीकरण तथा कीटों के जैव नियंत्रण में इनकी क्षमता | डॉ. संगीता पॉल/ | सूक्ष्मजीवविज्ञान | ---- |