प्रमुख उपलब्धियां :
- उच्च उपज क्षमता वाले कम टॉक्सिन युक्त लेथाइरस सेटाइवस के कायक्लोन विकसित किये गए। इनमें से एक कायक्लोन बायो एल. 212 (रतन) को उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र तथा मध्य क्षेत्र में खेती के लिए जारी किया गया। एक अन्य सफेद फूलों वाला कायक्लोन, बायो-एल 208 (मोती) जिसमें ओ.पी.डी.ए. अत्यंत कम मात्रा में होता है और जो उच्च उपज देता है, अत्यंत आशाजनक है।
- उड़द चित्ती विषाणु का लक्षण वर्णन किया गया है और इसे कॉरनेशन चित्ती विषाणु (कैरम) के समूह में रखा गया है।
- चने में प्ररोह के परखनली में पुनर्जनन और प्ररोहों की भली प्रकार स्थापित मूल वृन्तों पर कलम लगाने के लिए प्रोटोकॉल विकसित किये गए।
- प्रकाश-श्वसन जिसे अभी तक एक व्यर्थ प्रक्रिया माना जाता था, से एमिनो अम्ल संश्लेषण के लिए कार्बन आधार उपलब्ध कराने वाला पाया गया।
- प्रकाश में नाइट्रेट अवकरण (रिडक्शन) के लिए अवकरणशील शक्ति उपलब्ध कराने में माइटोकॉन्ड्रिया को एक नई भूमिका सौंपी गई।
- (एज़ो) राइज़ोबिया में नाइट्रेट-अमोनियाकरण पथ की स्थापना तथा चना-राइज़ोबिया के Hup+प्रभेदों का विकास
- उपज सीमित करने से संबंधित बाधाओं की पहचान के लिए मक्का, जौ और ज्वार के उच्च लाइसीन युक्त दालों के विकास में प्रोटीन तथा स्टार्च संश्लेषण पर गहन अध्ययन किये गए।
- गेहूं की चपाती की गुणवत्ता के आकस्मिक घटकों पर किये गए अध्ययनों से यह पता चला कि अध्ययन के अन्तर्गत आने वाली गेहूं की किस्मों में श्रेष्ठ चपाती के गुण लाने में एचएमडब्ल्यू ग्लूटेनिन उप इकाई DX5 और Dy 10 की महत्वपूर्ण भूमिका है। एचएमडब्ल्यू ग्लेटेनिन के पेप्टाइड मानचित्रण से कुछ ऐसे जैव रासायनिक मार्करों का पता चला जो श्रेष्ठ तथा घटिया गुणवत्ता वाली चपाती संबंधी गुणों में भेद स्थापित करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
- एसडीएस-पीएजीई पर मैक्रोनी गेहूं (ट्रिटिकल ड्यूरम) से ग्लियाडिन की इलैक्ट्रोफॉरिक पद्धतियों से घटिया गुणवत्ता वाले ड्यूरम के अलावा सभी किस्मों में एमडब्ल्यू 41.5 केडी का पॉलीपेप्टाइड देखा गया। इस 41.5 के.डी. पॉलीपेप्टाइड का उपयोग श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले ड्यूरम के चयन हेतु आनुवंशिक मार्कर के रूप में किया जा सकता है।
- पौधों में अन्धकार में नाइट्रेट अवकरण के लिए एनएडीपीएच में सृजित ऑक्सीकारक पेन्टोज़ फास्फेट एक अवकरणकारी घटक सिद्ध हुआ।
- हरी पत्तियों में ऑक्सीजन की उपस्थिति में पशु माइटोकॉन्ड्रिया के विपरीत साइटोक्रोम a3-CO कॉम्प्लेक्स अन्धकार में असंबद्ध हो जाता है। प्रिप्रेटिव बीएन-पीएजीई और द्वितीय-आयाम वाले ट्राइसीन-एसडीएस-पीएजीई का उपयोग करके एक हरी पत्ती से प्रोटीन मानचित्र तैयार करने के लिए विभिन्न इकाइयों में माइटोकोन्ड्रियाई तथा क्लोरोप्लास्ट झिल्ली प्रोटीन कॉम्प्लेक्स विकसित किया गया।
- ओमेगा-3-डेसाटयूरेज़ (एफएडी-7) और एसीवाईएल-एसीपी थियोइस्टरेज़ (एफएटीए) को विलगित किया गया और ब्रैसिका जुन्सिया से इसका लक्षण वर्णन किया गया है।
- एसिटाइल CoA के एक 1920 bp जीनोमी क्रम (ईएमबीएल जीन बैंक प्रविष्टि संख्या : एजे 582176) तथा cDNA क्लोन को 1210 bp क्रम वाले ग्लाइकॉल-3 फास्फेट एकाइल ट्रांसफरेज़ में इनकोड करते हुए विलगित किया गया तथा ब्रैसिका जुन्सिया से इसका लक्षण वर्णन किया जा रहा है।
- लिपिड जैव संश्लेषण पथ में सम्मिलित कुछ अन्य जीन, नामत: ओलीऐट डेसाट्यूरेज़, लाइसोफास्फेटिडिक अम्ल एकाइल ट्रांसफरेज़ (एलपीएएटी) जीन और डाइएकाइल ग्लिसरॉल एकाइलट्रांसफरेज़ (डीजीएटी) जीन को विलगित किया गया तथा ऊतकों में वसा अम्ल के संचयन और संश्लेषण में इनकी भूमिका को समझने और इसके साथ-साथ विनियमन कार्य यांत्रिकी, सब्सट्रेट की विशिष्टता के अलावा ब्रैसिका जुन्सिया में तेल की गुणवत्ता और उपज का पता लगाने में इनकी भूमिका का अध्ययन किया गया।
- विकसित होते हुए सोयाबीन के बीजों से माइक्रोसोमल ?-6-डिसैटूरेज़ जीन (एफएडी 2-1) को पृथक किया गया और सोया तेल की गुणवत्ता के लिए इसका गुण निर्धारण किया गया। एरेबीडॉप्सिस मॉडल पौधे में दक्षता की जांच के लिए तीन जीन साइलेंसिंग कन्स्ट्रक्ट सेंस, एन्टीसेंस और इन्ट्रॉन को हेयरपिन कॉन्स्ट्रक्टों में स्प्लाइस किया गया।
- चौलाई, चिनोपोडियम, कैलोशिया और बोगनविलिया की पत्तियों से प्रति विषाण्विक/राइबोसोम को निष्क्रिय करने वाले प्रोटीनों को विलगित करके उनका गुण निर्धारण किया गया है। कैलोशिया तथा चौलाई और बोगनविलिया X बुलियाना से जीनों को कोड करने वाले प्रति विषाण्विक प्रोटीनों (एवीपी) की अभिव्यक्ति ई.कोलाई में की गई और इसी प्रकार की प्रोटीनें पत्तियों में उपस्थित नेटिव या मूल प्रोटीनों के समान पाई गई।
- चावल में चल कमी प्रतिबल (डब्ल्यूटीएस) से संबंधित विभिन्न प्रोटीनों तथा आण्विक मार्करों को विभिन्न डिस्प्ले तकनीकों व द्वि-आयामी जैल इलैक्ट्रोफोरेसिस का उपयोग करके पहचाना गया।
- चावल के जल प्रतिबल वाले पत्ती ऊतक से cDNA लाइब्रेरी तैयार की गई। विभिन्न आशाजनक जीनक्रम (रेगुलेटर/इफैक्टर) विलगित किये गए हैं और सूखा सहिष्णुता में इनकी भूमिका को और परिभाषित करने के लिए इनका लक्षण वर्णन किया जा रहा है।
- प्रजनकों द्वारा पहचाने गई ताप सहिष्णु तथा संवेदनशील गेहूं की अनेक किस्मों को परीक्षणों के लिए खेतों में उगाया गया और ताप आघात प्रोटीनों के लिए इनका विश्लेषण किया गया। यह पाया गया कि एचएसपी की पौधों की ताप आघात के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
- इलैक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट के CO का उपयोग करके C3 और C4 पौधों में साइटोक्रोम ऑक्सीडेज़ की रिडॉक्स अवस्था में पहली बार भेद दर्शाया गया।
- गेहूं के विभिन्न जीन प्ररूपों में साइटोक्रोम a3-CO की वंशानुगतता मातृ पक्ष के गुण वाली है।