पूसा संस्थान-स्वोयंसेवी संस्थान सहयोगात्मक कार्यक्रम
पूसा संस्था्न ने एक और किसान केंद्रित प्रसार कार्यक्रम की शुरूआत की है। यह सहयोगात्मक प्रसार कार्यक्रम देशभर के स्वंयंसेवी संस्थाओं (VOs) के साथ मिलकर चलाया जा रहा है। इस प्रयास में, संस्थान ने देश के विभिन्न भागों से 28 स्वसयंसेवी संस्थानों को अपने साथ जोड़ा है। इस अवधारणा में मुख्य लक्ष्य यह है कि स्वेयंसेवी संस्थानों के जमीनी आधार का उपयोग किया जाए और उन्हें पूसा संस्थाान के संभारतंत्रीय सहयोग एवं उन्न्त कृषि उत्पादन प्रौद्योगिकियों का सहयोग दिया जाए, ताकि वे इनका स्थानीय स्तर पर प्रक्षेत्र आकलन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कर सकें। इस तरह स्वहयंसेवी संस्थाानों, किसानों और पूसा संस्थान को तीन गुना लाभ सुनिश्चित किया गया है। यह परियोजना भी सन 2010 से प्रारंभ हुई।
पूसा कृषि विज्ञान मेला:
पूसा संस्थान हर वर्ष पूसा कृषि विज्ञान मेले का आयोजन करता है। तीन दिनों तक चलने वाला यह मेला एक ज्व लंत विषय पर आधारित होता है। इस मेले का उद्घाटन आमतौर पर माननीय कृषि मंत्री के करकमलों द्वारा किया जाता है, तथा सचिव डेयर, और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अन्यव गणमान्य अतिथि भी मौजूद होते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित एवं एक विषय पर केंद्रित प्रौद्योगिकियाँ एक विशाल थीमेटिक मंडप में प्रदर्शित की जाती हैं।
मेले में पूसा संस्थान के अलावा राज्यर कृषि विश्ववविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के उद्यम, स्वायंसेवी संस्थाान / सोसाइटियाँ तथा प्रगतिशील किसान भी इस मेले में भाग लेते हैं और कृषक समुदाय के लाभ के लिए अपनी-अपनी प्रौद्योगिकियाँ प्रदर्शित करते हैं। देश के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में आगंतुक आते हैं, जिनमें किसान, खेतिहर महिलाएँ, छात्र, प्रसार कर्मी, उद्यमी एवं अन्य् आगंतुक शामिल हैं।
किसानों को विभिन्न जीवंत प्रदर्शनियों, संरक्षित खेती प्रणालियों और संस्थान के प्रायोगिक प्रक्षेत्रों को दिखाने के लिए प्रक्षेत्र भ्रमण का आयोजन किया जाता है। किसानों / खेतिहर महिलाओं में ज्ञान और सूचना का आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए तीन तकनीकी सत्र और एक महिला सशक्तीकरण कार्यशाला का भी आयोजन किया जाता है।
किसान परामर्श सेवा प्रकोष्ठ संपूर्ण मेला अवधि के दौरान कार्य करता रहा है जहाँ किसान पूसा संस्थान / राज्यं कृषि विश्व विद्यालयों / अन्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों के विषय वस्तु विशेषज्ञों द्वारा कृषि परामर्श सेवाएँ तथा अपनी खेती संबंधी समस्याओं का तत्काल समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
मेले में पूसा बीज विक्रय काउंटर में विभिन्नल फसलों के उच्च उपजशील बीज बेचे जाते हैं। मेले में संस्थान के संचालनीय क्षेत्रों के अनेक किसान भी अपना स्टॉल लगाते हैं और उसमें पूसा संस्थाीन के साथ कृषक सहभागिता बीज उत्पानदन कार्यक्रम के अंतर्गत उत्पादित उच्च उपजशील प्रजातियों के बीजों को बेचते हैं।
कृषि विज्ञान मेले के समापन समारोह के दौरान विभिन्न राज्यों के प्रगतिशील किसानों / खेतिहर महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। प्रगतिशील /नवोन्मेनषी किसानों को पुरस्कृत करना कृषि विज्ञान मेले का एक मुख्य आकर्षण है। इससे किसानों को प्रोत्साहन मिलता है।
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संयुक्त निदेशक (प्रसार) |
किसानों एवं प्रसार कर्मियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
दिल्ली के विकास विभाग के प्रसार कर्मियों और किसानों के ज्ञान और कौशल के नवीनीकरण के लिए संबंधित विषयों पर नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अयोजन किया जाता है। संस्थान में संसाधनों, छात्रावास एवं अन्यन सुविधाओं की उपलब्ध ता के आधार पर विभिन्न राज्य विकास विभागों / स्वायंसेवी संस्थावनों आदि के द्वारा प्रायोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, और इनका आयोजन संसाधनों, छात्रावास एवं अन्य सुविधाओं की उपलब्धता के अनुसार मामला आधार पर किया जाता है।
प्रदर्शनियों में भागीदारी
यह केंद्र देश के विभिन्न् भागों में लगने वाली अंतरराष्ट्री्य / राष्ट्रीय / क्षेत्रीय / संस्थागत कृषि प्रदर्शनियों में भाग लेकर उनमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की प्रौद्योगिकियाँ और सेवाएँ प्रदर्शित एवं प्रचारित एवं प्रसारित करता है।
प्रक्षेत्र दिवस
कैटेट किसानों के खेत पर समय-समय पर प्रक्षेत्र दिवस आयोजित करता है। ये प्रक्षेत्र दिवस प्रदर्शन क्षेत्रों में रबी या खरीफ ऋतुओं पर आयोजित किए जाते हैं।
अग्रपंक्ति प्रदर्शन
केंद्र की ओर से नियमित रूप से उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों, हरियाणा और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी के अंतर्गत आने वाले जिलों के चयनित गांवों में गेहूँ (गेहूं अनुसंधान निदेशालय द्वारा प्रायोजित) और मक्के (मक्का अनुसंधान निदेशालय द्वारा प्रायोजित) के अग्र पंक्ति प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गेहूँ और मक्के की नवीन प्रजातियों और उन्नत उत्पादन प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया जाता है।
मेरा गाँव मेरा गौरव
वैज्ञानिकों का किसानों के साथ सीधा वार्तालाप एवं आदान प्रदान को बढ़ावा देने के लिए संस्थान ने मेरा गाँव मेरा गौरव कार्यक्रम शुरू किया। यह कार्यक्रम भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान और राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के साथ मिलकर कुल 480 वैज्ञानिकों के साथ 120 क्लस्टर में, जिसमें 600 गाँवों में चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अंगीकृत गाँवों के किसानों को नियमित रूप से आवश्यकतानुसार जानकारी, ज्ञान और परामर्श सेवा प्रदान करना हैं।
बीज हब का विकास:
संस्थान की प्रौद्योगिकियों की टिकाऊपन तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब इसे अपने भागीदार एजेंसियों के साथ प्रौद्योगिकियों को बड़े पैमाने पर फैलाया जाए। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-स्वयंसेवी संस्था सहयोगात्मक कार्यक्रम के अंतर्गत दो बीज हब, पहला उत्तर भारत में (यंग फार्मर एसोसिएशन, राखड़ा के साथ) और दूसरा देश के पूर्वी भाग में (पी.आर.डी.एफ. गोरखपुर के साथ) विकसित किए गए हैं।
किसानों के क्षमतावर्धन के लिए जनसंचार संबंधी पहल और आकाशवाणी कृषि पाठशाला
बड़े पैमाने पर किसानों के स्तर पर प्रौद्योगिकियों को द्रुत गति से हस्तांतरित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली , ऑल इंडिया रेडियो, नई दिल्ली एवं दूरदर्शन, नई दिल्ली ने आपसी सहयोग करते हुए एक मॉडल के रूप में नई पहल की है। इसके अंतर्गत विभिन्न फसलों और उनकी उत्पाईदन प्रौद्योगिकियों पर आकाशवाणी कृषि पाठशाला और कृषि दर्शन पाठशालाओं का आयोजन किया गया।
उत्पादन इकाई
केंद्र का एक महत्व्पूर्ण घटक उत्पादन इकाई है। इसमें किसानों की आवश्यकतानुसार समस्याओं के समाधान एवं विभिन्न कार्यात्मक अनुसंधान / तकनीकी हस्तांतरण कार्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए संस्थान के विभिन्न संभागों एवं केंद्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले वैज्ञानिकों को इकट्ठा किया गया है। यह इकाई केंद्र के कार्यों को कार्यान्वित करने में मदद करती है।
प्रकाशन
केंद्र समय-समय पर किसानों के लिए उपयोगी तकनीकी बुलेटिन, पुस्तिकाएँ और पैम्फलेट प्रकाशित करता रहता है।