प्रशिक्षण/ गतिविधियां : वर्ष 2015-16

पी.आर.ए. पर आधारित प्रशिक्षण आवश्‍यकताएं/ विशिष्‍ट क्षेत्र

प्रशिक्षण के प्रकार एवं लक्ष्‍य समूह

लक्ष्‍य क्षेत्र/ आवश्‍यकताएं

कृषक महिलाएं एवं ग्रामीण युवकों के लिए व्‍यवसायिक प्रशिक्षण

  • मधुमक्‍खी पालन
  • आय बढ़ाने हेतु ड्रेस डिजाइनिंग सिलाई एवं कढ़ाई
  • फूलों एवं सजावटी पौधों की व्‍यसवायिक स्‍तर पर खेती
  • सब्‍जियों, फूलो-फलों की व्‍यवसायिक स्‍तर पर पौधशाला की स्‍थापना
  • पौध संरक्षण के लिए किराए पर सेवा प्रदान करना तथा संबंधित यंत्रों का रखरखाव
  • मौसमी फलों एवं सब्‍जियों का परिरक्षण
  • मोटर रिवाइंडिंग
  • व्‍यवसायिक डेयरी फार्मिंग
  • खुम्‍ब उतपादन तकनीकी
  • वर्मीकम्‍पोस्‍ट उत्‍पादन तकनीकी

सेवारत प्रसार कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण

  • समन्‍वित कीट प्रबंधन
  • समन्‍वित पादप पोषक तत्‍व प्रबंधन
  • बागवानी में नए अनुसंधान
  • समन्‍वित खरपतवार प्रबंधन
  • महिलाओं एवं बच्‍चों में पोषण
  • पशुओं में रोग प्रबंधन
  • पशु उत्‍पादन एवं प्रबंधन

कृषक एवं कृषक महिलाओं के लिए प्रशिक्षण

  • उच्‍च गुणवत्‍ता का बीज उत्‍पादन
  • समन्‍वित कीट रोग प्रबंधन तथा जैविक कीट नियंत्रण
  • खरीफ, रबी एवं जायद की प्रमुख फसलों की उत्‍पादन तकनीकी
  • मिट्टी स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल (जांच)
  • मौसम के प्रतिकूल समय में सब्‍जियों की खेती
  • बीज एवं खाद्यान्‍नों का सुरक्षित भंडारण
  • दुधारू पशुओं का संतुलित आहार
  • पशुओं में प्राथमिक चिकित्‍सा
  • सतत कृषि उत्‍पादन के लिए जैविक खेती
  • फार्म मशीनरी एवं उपकरणों का सुरक्षित उपयोग एवं उनका रखरखाव
  • बाजरा में मूल्‍य संवर्धन
  • मौसमी फलों एवं सब्‍जियों का परिरक्षण
  • कृषक महिलाओं में श्रम शक्‍ति को कम करने की तकनीकी
  • पोषण बागवानी

 

 

प्रशिक्षण (2015-16)

प्रशिक्षण कार्यक्रम

प्रशिक्षणों की सं.

प्रशिक्षार्थियों की सं.

क्षेत्र में सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव

कार्यरत कृषक एवं कृषक महिलाओं के लिए प्रशिक्षण

75

1281

  • विभिन्‍न व्‍यवसायों को लगभग 40 प्रतिशत अपनाया । ज्‍यादातर प्रशिक्षणार्थी विभिन्‍न व्‍यवसायों जैसे – मधुमक्‍खी पालन, केंचुआ पालन, मोटर रिवान्‍डिंग, डेयरी फार्मिंग एवं मूल्‍य संवर्धन कर लगभग 25 हजार से 1 लाख रुपए प्रति वर्ष आय अर्जित कर रहे हैं ।
  • केंद्र से प्रशिक्षित कृषक युवा अपने गांव के साथ-साथ गांव से लगते अन्‍य गांव में कृषि तकनीकी के पथ प्रदर्शक बन रहे हैं ।
  • कृषि विकास अधिकारियों को नवीनतम प्रौद्योगिकियों का ज्ञान प्राप्‍त हो रहा है जिसे वे कृषकों को पहुंचा रहे हैं ।

ग्रामीण युवकों, कृषकों एवं कृषक महिलाओं के लिए व्‍यवसायिक प्रशिक्षण

20

416

कृषि प्रसार कार्यकर्ताओं/ कृषि विकास अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण

08

147

कुल योग

103

1844

 

अग्र पंक्‍ति प्रदर्शन (2015-16)

उपलब्‍धियां

क्षेत्र में सामाजिक व आर्थिक प्रभाव

वर्ष 2015-16 में 129.4 हैक्‍टेयर क्षेत्र में 325 फसल प्रदर्शन लगाए गए । ये फसल प्रदर्शन गुड़गांव जिले के 4 ब्‍लॉकों के 11 गांवों में लगाए गए

सरसों, गेंहू, अरहर एवं चना फसलों के उत्‍पादन में क्षेत्र की क्षेत्रीय फसल प्रजातियों के मुकाबले 7 से 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई ।

325 प्रदर्शनों में से 25 हैक्‍टेयर में 55 प्रदर्शन तेल वाली फसलों के, 56.80 हैक्‍टेयर में 150 प्रदर्शन दाल वाली फसलों के, 41.4 हैक्‍टेयर में 86 प्रदर्शन अनाज वाली फसलों के, 6 हैक्‍टेयर में में 24 प्रदर्शन विभिन्‍न प्रकार की सब्‍जियों के एवं 0.2 हैक्‍टेयर में 10 प्रदर्शन किचन बागवानी के अंतर्गत लगाए गए ।

गेहूं के स्‍थान पर 2500 हैक्‍टेयर क्षेत्र में जौ का उत्‍पादन किया गया वही बाजार फसल के स्‍थान पर 1200 हैक्‍टेयर में अरहर की फसल का उत्‍पादन किया गया ।

 

फार्म परीक्षण (2015-16)

उपलब्‍धियां

क्षेत्र में सामाजिक व आर्थिक प्रभाव

गेंहू में समन्‍वित पोषक तत्‍व प्रबंधन

मिट्टी जांच के आधार पर वर्मी कम्‍पोस्‍ट खाद + एजोटोवैक्‍टर + पी.एस.बी. + 75 प्रतिशत एन.पी.के. का इस्‍तेमाल किया गया जिसके फलस्‍वरूप 56.40 क्‍विंटल प्रति हैक्‍टेयर का अधिकतम उत्‍पादन दर्ज किया गया ।

गेहूं में खरपतवार नियंत्रण

कार फेंटराजोल + सल्‍फो सल्‍फ्यूरान 45 ग्राम प्रति हैक्‍टेयर देने से गेहूं में खरपतवारों का बेहतर नियंत्रण हुआ तथा 55.37 क्‍विंटल प्रति हैक्‍टेयर की उपज प्राप्‍त हुई

ग्रीष्‍मकालीन कद्दू में फ्यूजेरियम विल्‍ट प्रबंधन

मिट्टी में कार्वेन्‍डाजिम (50 डब्‍ल्‍यू.पी.) 2.5 किलोग्राम प्रति हैक्‍टेयर तथा कार्वेन्‍डाजिम (50 घुलनशील पाउडर) 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज दर से उपचार करने से फ्यूजेरियम विल्‍ट का नियंत्रण प्रभावी रूप से हो जाता है । इस नियंत्रण से 152.64 क्‍विंटल /हैक्‍टेयर की उपज प्राप्‍त हुई ।

ग्रीष्‍मकालीन कद्दू में सूत्रकृमि प्रबंधन

मिट्टी में नीम के बीजों की खल 500 किलोग्राम प्रति हैक्‍टेयर मिलाने तथा बीज को ट्राइकोडर्मा हरजियानम के घोल में एक घंटा भिगोने से सूत्रकृमि का नियंत्रण हो जाता है इसमें 156.84 क्‍विंटल/हैक्‍टेयर की उपज प्राप्‍त हुई

गोभी में हीरक पृष्‍ठ शलभ का प्रबंधन

एमामैक्‍टिन बेंजोएट (5 प्रतिशत एस.जी.) का 0.50 ग्राम प्रतिलीटर पानी का घोल तथा 2 छिड़काव नीमारिन 5 मि.ली./ लीटर पानी के घोल का एकात्‍तर रूप में छिड़काव  करने से हीरक पृष्‍ठ शलभ का आसानी से प्रबंधन हो जाता है इसके प्रबंधन से 253.72 कुन्‍टल/हैक्‍टेयर गोभी की पैदावार प्राप्‍त हुई ।

भैसों में प्रजनन क्षमता

विटामिन ए.डी.3 ई; एवं खनिज मिश्रण खिलाने से 80 प्रति भैसों में प्रजनन हुआ ।

पशुओं में बाह्य परजीवियों नियंत्रण

आइवर मेक्‍टिन नामक इजेक्‍सन लगाने से बाह्य परजीवियों का सफलतापूर्वक दवा नियंत्रण हुआ तथा कोई भी विपरीत असर नहीं दिखा

महिला पशुपालको में दूध निकालते वक्‍त श्रम शक्‍ति को कम करने हेतु घुमने वाले स्‍टूल का प्रयोग

स्‍टूल के इस्‍तेमाल से महिलाओं का दूध निकालने में कम ताकत लगानी पड़ी इस प्रकार इसे बहुत महिलाओं ने अपनाया ।

माइक्रोवेव ओवन में सोयाबीन दाने को भूनने से उसकी पाचक क्षमता में वृद्धि तथा अधिक प्रोटीन की उपलब्‍धता

सोयाबीन को माइक्रोवेव ओवन में भूनने से तुलनात्‍मक दृष्‍टि से बगैर प्रोसेस किया हुआ सोया आटा या उबला सोयानट से माइक्रोवेव से भुना हुआ सोयाबीन लोगों  को ज्‍यादा पसंद आया इससे सोयाबीन की खपत में इजाफा हुआ । ट्रिपसिन अवरोधक की क्रिया में 90 प्रतिशत तक की कमी हुई जिससे शरीर में प्रोटीन की उपलब्‍धता की बढ़ोतरी होती है ।

 

महिला सशक्‍तिकरण (2015-16)

उपलब्‍धियां

सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव

  • कुल 103 गतिविधियां आयोजित की गईं जिनमें 15 व्‍यवसायिक प्रशिक्षण (ड्रेस डिजाइनिंग एवं सिलाई, पोषण फार्म, परीरक्षण एवं मूल्‍य संवर्धन) 75 एक दिवसीय परिसर/ परिसर से बाहर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया, कृषक महिला दिवस का आयोजन ।

 

  • उपरोक्‍त गतिविधियों से 385 ग्रामीण महिलाएं लाभान्‍वित हुईं ।
  • प्रशिक्षित महिलाओं में से लगभग 56 प्रतिशत ने डेयरी फार्मिंग, सिलाई, फलों एवं सब्‍जियों के परीरक्षण को अपनाकर आमदनी कर रही हैं जिससे स्‍वरोजगार बढ़ा है ।

 

  • प्रशिक्षण के बाद महिलाओं के नजरिए में बदलाव आया है और वे अब समूहों में कार्य करने लगी हैं ।

 

डेयरी विकास कार्यक्रम

उपलब्‍धियां

सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव

  • गामीण युवकों एवं कृषक महिलाओं के लिए 4 व्‍यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम ।
  • डेयरी, पोषण एवं रोग प्रबंधन पर 18 एक दिवसीय प्रशिक्षणों का आयोजन ।

 

  • दो पशु स्‍वास्‍थ्‍य जांच उपचार एवं प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन पशुपालकों द्वारा लगाए गए ।

 

  • बीमारियों की पहचान करने के लिए 33 दूध एवं मल की जांच की गई ।
  • सेवारत पशुचिकित्‍सा एवं पशुधन सहायकों के लिए 02 प्रशिक्षणों का आयोजन ।

 

  • पशुओं में बाह्य परजीवियों के नियंत्रण एवं भैंसों में प्रजनन क्षमता बढ़ाने हेतु 2 फार्म परीक्षणों का आयोजन गया तथा प्राप्‍त परिणामों से उन्‍हें अवगत कराया गया ।

उपरोक्‍त गतिविधियों से 497 ग्रामीण युवक, कृषक महिलाएं, पशुपालक लाभान्‍वित हुए तथा 352 पशुओं का जांच के बाद उपचार किया गया ।

  • केंद्र से प्रशिक्षण लेने के बाद ग्रामीण युवक व्‍यवसायिक स्‍तर पर डेयरी शुरू कर रहे हैं । कृषक/कृषक महिलाएं वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन कर अधिक दूध उत्‍पादन कर रहे हैं जिसके फलस्‍वरूप अधिक आय प्राप्‍त हो रही है ।
  • प्रशिक्षित पशुपालक स्‍वयं ही प्राथमिक चिकित्‍सा स्‍वयं कर रहे हैं केवल विशेष परिस्‍थितयों में ही पशुचिकित्‍सक की सेवाएं ली जाती हैं ।
  • पशुपालक पशु के रख-रखाव, संतुलित आहार तथा रोगों के बारे में काफी जागरूक हो गए हैं । जिसके कारण पशुओं के दूध उत्‍पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है ।
  • प्रशिक्षण एवं अभियानों द्वारा कृषक स्‍वच्‍छ दूध उत्‍पादन तथा टीकाकरण आदि के प्रति भी अधिक जागरूक हुए हैं । 

 

प्रसार गतिविधियां एवं कृषि सलाह एवं सेवाएं

उपलब्‍धियां

सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव

  • वर्ष 2015-16 में 19 खेत दिवस, 01 कृषक महिला दिवस, 01 शहद दिवस 147 किसानों के खेत पर वैज्ञानिकों को भ्रमण 21 रेडियो/ टीवी वार्ता, केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा किसानों की बैठकों में 25 लेक्‍चर, 36 क्रिया विधि प्रदर्शन, 25 शिविर अभियान, 02 पशुचिकित्‍सा शिविर, 04 कृषि विज्ञान पत्रिका, 12 पशु जांच सेवाएं, 03 प्रदर्शनी, 21 प्रेस विज्ञप्‍ति, 02 किसान सम्‍मेलन, 01 विश्‍व मृदा दिवस तथा 43 संक्षिप्‍त संदेश भेजे गए ।
  • 1446 किसानों ने कृषि सलाह के लिए केंद्र पर भ्रमण किया तथा टेलीफोन के माध्‍यम से 3352 किसान लाभान्‍वित हुए ।
  • 1754 में से 1508 मिट्टी तथा 246 पानी के नमूनों की जांच की गई  । उपरोक्‍त गतिविधियों से 17177 किसानों/कृषक महिलाओं एवं ग्रामीण युवकों ने लाभ अर्जित किया ।
  • इन प्रसार गतिविधियों द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी का प्रचार-प्रसार जिले के विस्‍तृत क्षेत्र में  फैलाव हुआ  ।
  • कार्यक्रमों में सम्‍मिलित कृषकों ने वैज्ञानिक तरीके से खेती की तथा अधिक आय अर्जित की ।
  • अधिकांश किसान व किसान क्‍लब के सदस्‍यों को त्रैमासिक कृषि विज्ञान पत्रिका के माध्‍यम से भी नि:शुल्‍क जानकारी प्रदान की जा रही है ।