• जल उपयोगिता बढ़ाने के लिए पूसा हाइड्रोजैलः  पूसा हाइड्रोजैल एक उपकृत्रिम क्रॉस-लिंक्ड हाइड्रोपॉलीमर है, जिसका विकास शुष्क एवं सीमित सिंचाई की परिस्थितियों में कृषि एवं बागवानी फसलों की जल उपयोग क्षमता बढ़ाने हेतु किया जाता है। इसके मुख्य गुण इस प्रकार हैं।
    • सेल्यूलोस (प्राकृतिक पॉलीमर) पर आधारित
    • विषैली प्रारम्भिक संश्लेषण इकाइयों (मोनोमर) से मुक्त
    • उच्च ताप (40-500से.) पर भी प्रभावी, शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त
    • अपने भार से 350 गुणा पानी सोखने तथा धीरे धीरे छोड़ने में सक्षम
    • न्यूनतम उपयोग दर (1-1.5 कि.ग्रा. प्रति है.)
    • मृदा एवं मृदा विहीन माध्यम के भौतिक गुणों में सुधार
    • बीज अंकुरण दर एवं पौध वृद्धि में सुधार
    • नर्सरी स्थापना अवधि में कमी
    • फसलों की सिंचाई एवं उर्वरक आवश्यकता में कमी
    • पौधों की स्थाई मुरझाव स्थिति में विलम्ब

                    पूसा हाइड्रोजैल की क्षमता का मूल्यांकन संस्थान के खेतों में, किसानों के खेतों में एवं अन्य संस्थानों के सहयोग से बहु स्थाई प्रक्षेत्रों में अनेक प्रकार की फसलों जैसेः मूँगफली, आलू, सोयाबीन, सरसों, गेहूँ, प्याज, टमाटर, गोभी, गाजर, स्ट्रॉबेरी, अफीम, मक्का, गन्ना, धान, हल्दी, गुलदाउदी, कपास आदि पर किया जा चुका है। इसकी तकनीक विभिन्न कम्पनियों जैसे मैसर्ज़ अर्थ इन्टरनैशनल लि., मै. कार्बोरन्डम लि., मै. सरपंच समाज, मै. मधुसूदन इन्टरनैशनल लि., मै. नवभारत लि. एवं मै. नागार्जुन फर्टीलाइज़र प्रा. लि. को व्यवसायीकरण हेतु दी जा चुकी है।

  • नत्रजनउपयोग क्षमता वृद्धि हेतु नीम लेपित यूरियाः  स्वदेशी तकनीक से विकसित एवं उद्योगों द्वारा मान्य देश का प्रथम नीम लेपित यूरिया जो कि धान की औसत पैदावार में 10-16 प्रतिशत की वृद्धि करता है। विकसित तकनीक नैशनल फर्टीलाइज़र लि.,    कृभको, श्रीराम कैमीकल्स और फर्टीलाइज़रज़ लि., इन्डोगल्फ फर्टीलाइज़रज़ द्वारा प्रयोग की जा रही है।
  • नीम के बीजों से एज़ाडिरेक्टिन-ए युक्त साँद्रः  बचे हुए उत्पाद, नीम बीज, नीम खली, नीम भूसी आदि को भी प्रयोग में लाने का पूरा पैकेज दिया गया है। अज़ाडिरेक्टिन-ए युक्त साँद्र हेतु एक साधारण तीव्र, सस्ती एवं पर्यावरण सहायी तकनीक विकसित की गई है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई अपव्यय उत्पन्न नहीं होता। यह पूरा पैकेज व्यवसायीकरण हेतु ओज़ोन बायोटेक प्रा. लि. हरियाणा द्वारा प्रयोग किया जा रहा है तथा तैयार टैकनीकल ग्रेड एज़ा-साँद्र विश्व के कई देशों जैसे अमेरिका, जापान, कोरिया, सेनेगल तथा नेपाल आदि में ओज़ोनीम-एज़ा के नाम से निर्यात किया जा रहा है। व्यवसायीकरण हेतु यह तकनीक मै. श्रीनिधि एन्टर प्राइज़, बंगलौर एवं भारत बायोकोन प्रा. लि., बिलासपुर, छत्तीसगढ़ को दी जा चुकी है।
  • नीम इमल्सीफाइएबल साँद्रः  नीम तेल, घोलक, इमल्सीफाइर तथा स्थिरक (स्टैबलाइज़र) आदि के सम रूप मिश्रण से नीम ई.सी. तैयार किया गया है। परिणामिक ई.सी. में कम से कम 300 पी.पी.एम. एज़ाडिरेक्टिन होता है जो कि भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा मान्य है। इस साँद्र को मक्का की तना मक्खी, गेहूँ व जौ के अथरगोनिया नक्वी, पत्ता गोभी की डायमण्ड बैक मॉथ, सरसों का माँहू, ज्वार बाजरा के तनाछेदक, लोबिया वॉर्म, अरहर व ज्वार का हेलीकोवर्पा, तम्बाकू एवं सोयाबीन की सफेद मक्खी, लोबिया व मूँग की नीली तितली आदि हानिकारक कीटों पर परखा गया तथा विकसित विधि मै. जय कैमीकल्स एवं ओज़ोन बायोटैक, फरीदाबाद (हरियाणा) को व्यवसायीकरण हेतु दी गई।
  • नीम जैवसक्रिय पॉलीमैरिक बीज पर्तः  बीज की भण्डारण अवधि, अंकुरण क्षमता, बीज गुण, पौध क्षमता बढ़ाने हेतु नीम जैवसक्रिय पॉलीमैरिक बीज पर्त के लिए तकनीक विकसित की गई। यह उत्पाद सुरक्षित कार्बनिक खेती एवं समेकित नाशीजीव प्रबन्धन के लिए श्रेष्ठ उत्पाद है। यह तकनीक राष्ट्रीय अनुसंधान विकास समिति को सम्भावित वाणिज्यक उत्पादन हेतु स्थानान्तरित की जा चुकी है।
  • नैनो सल्फरः  नैनो सल्फर उत्पादन के लिए तकनीक विकसित की गई। नैनो आकार गन्धक कणों की फँफूदी नाशक व पीड़कनाशक गुणों की क्षमता को बढ़ाते हैं। विकसित उत्पाद बाज़ार में उपलब्ध फॉर्मूलेशन की अपेक्षा दो गुणा अधिक प्रभावी है, इसलिए कम मात्रा में बेहतर प्रभाव दिखाती है। नैनो सल्फर पादप फँफूदी क्लेस्टोथिसिया को भेद कर उसे प्रभावहीन (नपुन्सक) बनाती है।  
  • नैनो हैक्साकोनाज़ोलः नैनो हैक्सोकोनाज़ोल बनाने की तकनीक विकसित की गई है। यह उत्पाद राइज़ोक्टोनिया सोलानी, (धान में शीथ ब्लाइट नामक बीमारी का कारक), पर बाजार में उपलब्ध फॉर्मूलेशन की अपेक्षा 2-6 गुणा अधिक प्रभावी है। सरसों के अँकुरण एवं स्थापन पर भी इस का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पाया गया।
  • प्राकृतिक प्रतिरोधक ऑक्सीकारकः  खाद्य रंग, सुगन्ध अभिकरता और स्वस्थ खाद्य/भोज्य पदार्थः  काली गाजर प्राकृतिक स्थाई एसाइलेटिड एन्थोसाइनिन का उत्तम स्त्रोत है जो काली गाजर को गाढ़ा बैंगनी रंग प्रदान करता है। जामुन भी एन्थोसाइनिन का उत्तम स्त्रोत है। टमाटर लाइकोपीन का उत्तम स्त्रोत है व प्रतिरोधी ऑक्सीकारक क्षमता से युक्त है। इसे कई खाद्य सामग्री में प्राकृतिक रंगों के रूप में भी प्रयोग करते हैं। मिर्च में पाया जाने वाला ओलियोरेसिन उच्च गुण युक्त केपसेन्थिन का मुख्य स्त्रोत है। यह प्राकृतिक रंग, अचार, शीतल पेय, अल्पाहार, सलाद आदि की सजावट (ड्रेसिंग) में प्रयोग किया जाता है। मिर्च में पाया जाने वाला एक अन्य रसायन कैपसाइसीनॉयड एक सुगन्ध वर्धक एवं सूजन प्रतिरोधी पदार्थ है। स्टीविया रिबोडियाना में एक प्राकृतिक मिठास युक्त, शक्कर मुक्त, कम ऊर्जा वाला मीठा रसायन स्टीवियोसाइड पाया जाता है। उपरोक्त प्राकृतिक, स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों के निष्कर्षण, शुद्धिकरण एवं गुणों को जाँचने/परखने की एक सस्ती एवं सुरक्षित विधि विकसित की गई है। इस तकनीकी का लाइसेंस ओज़ोन बायोटेक, फरीदाबाद, हरियाणा को दिया गया है।

  • पीड़कनाशियों के एम्फीफिलिक नैनो फॉर्म्यूलेशनः  एम्फीफिलिक पॉलीमर को बनाने की तकनीक विकसित की गई है, जो कि नैनो फॉर्म्यूलेशन बनाने में प्रयोग किया जायेगा। यह पॉलीइथाइलीन ग्लाइकोल आधारित एम्फीफिलिक पॉलीमर पानी में माइसिल का निर्माण करते हैं। यह माइसिल जैव सक्रिय पदार्थ के कैप्सूलीकरण में प्रयोग की जाती है। इस तकनीकी का कार्बोफ्यूरॉन, बीटा साइफ्लूथ्रिन, थीरम, इमीडाक्लोप्रिड, एज़ाडिरेक्टिन एवं थाइमेथोक्सम आदि पीड़कनाशियों के नैनो फॉर्म्यूलेशन बनाने में सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है।  नैनो फॉर्म्यूलेशन द्वारा पीड़कनाशियों की मात्रा में कमी एवं क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। यह तकनीक इन्सेक्टीसाइड इंडिया लि., दिल्ली एवं एजिस एग्रोकैमीकल्स इंडिया, हैदराबाद को स्थानान्तरित की जा चुकी है।
  • समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आई.पी.एम.) प्रणालीः पत्तागोभी, टमाटर एवं मिर्च के सुरक्षित एवं पीड़कनाशी रहित उत्पाद के लिए समेकित नाशीजीव प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है।
  • पादप सुरक्षा प्रणालियों का मूल्यांकन तथा सुरक्षित प्रतीक्षा अन्तराल का संस्तुतिकरणः फूलगोभी एवं बैंगन पर ट्राइज़ोफॉस, साइपरमेथ्रिन एवं डैल्टामेथ्रिन का पत्तागोभी व बैंगन पर, साइपरमेथ्रिन, प्रोफेनोफॉस एवं इन्डोक्साकार्ब का करेले पर, डैल्टामेथ्रिन, क्लोरफेनापार एवं एन्डोसल्फान का भिन्डी पर एवं साइपरमेथ्रिन, क्लोरफेनापार एवं प्रोफेनोफॉस का पत्तागोभी पर पादप सुरक्षा प्रणाली का मूल्यांकन किया गया तथा इन फल/सब्जियों की सुरक्षा की दृष्टि से तुड़ाई हेतु सुरक्षित प्रतीक्षा अन्तराल तय किया गया।
  • निर्यात खाद्य पदार्थ जैसे चाय एवं चावल में पीड़कनाशी अवशेष हेतु विश्लेषण विधियाः निर्यात हेतु पदार्थों के विश्लेषण के लिए बहु-पीड़कनाशी अवशेष विधियाँ विशेषकर खाद्य सामग्री जैसे चाय एवं चावल के लिए विकसित की जा चुकी हैं।  
  • पीड़कनाशी निवारण उपायः जल से 18 पीड़कनाशी निवारण हेतु मॉडीफाइड क्ले, नैनो क्ले,  दानेदार कार्बन तथा फ्लाईऐश पर आधारित विधियाँ विकसित की गईं जो 90 प्रतिशत तक पीड़कनाशी निवारण में सक्षम पाई गईं।
  • मृदा से पीड़कनाशी संदूषण हेतु विधियाः मृदा से एट्राज़ीन, क्लोरपाइरीफॉस, डी.डी.टी., मेटोलाक्लोर, बाइफेनथ्रिन, एलाक्लोर, एन्डोसल्फान, बीटा-साइफ्लूथ्रिन, मैट्रीब्यूज़िन एवं पेन्डीमेथिलिन आदि पीड़कनाशियों के संदूषण हेतु सूक्ष्मजीव सम्वर्धित तकनीक विकसित की गई है।