भा.कृ.अ.सं. का पुस्‍तकालय दक्षिण पूर्वी एशिया का सबसे बड़ा तथा उत्‍कृष्‍टतम कृषि जीवविज्ञानी पुस्‍तकालय है। यहां 6 लाख प्रकाशन उपलब्‍ध हैं जिनमें 1 लाख पुस्‍तकें/मोनोग्राफ, 3,50,000 जर्नल खंड, 45,000 बुलेटिन, 15,000 स्‍नातकोत्‍तर शोध प्रबंध, 10,000 पम्‍फलेट, 30,000 समाचार कतरनें, 30,000 रिपोर्टें तथा अन्‍य संदर्भ सामग्री शामिल है। पुस्‍तकालय के 2000 सदस्‍य हैं जिनमें छात्र , वैज्ञानिक व तकनीकी स्‍टाफ शामिल है। पुस्‍तकालय प्रतिवर्ष लगभग 8,000 आगन्‍तुकों को भी सेवा प्रदान करता है। यह एफएओ, आईडीआरसी तथा एवीआरडीसी प्रकाशनों के डिपॉजि़टरी के रूप में भी कार्य करता है तथा सीजीआईएआर संस्‍थानों के प्रकाशनों का राष्‍ट्रीय डिपॉजि़टरी भी है।

प्रकाशन प्राप्ति कार्यक्रम

पुस्‍तकें

     वर्ष के दौरान पुस्‍तकालय में 516 प्रकाशन खरीदे गए जिनमें से 258 हिन्‍दी में तथा 258 अंग्रेजी में थे जिनकी लागत 20,44,893 रूपये थी। पुस्‍तकालय को 217 उपहार प्रकाशन, 156 भा.कृ.अ.सं. के शोध प्रबंध, 5 भा.कृ.अ.प./आरएफटी शोध प्रबंध तथा 173 भा.कृ.अ.प. के पुरस्‍कार विजेता शोध प्रबंध दस्‍तावेज़ भी प्राप्‍त हुए।

सीरियल

     पुस्‍तकालय में अंशदान, उपहार तथा विनिमय के माध्‍यम से 806 जर्नल/सीरियल प्राप्‍त किये गए। पुस्‍तकालय 106 विदेशी जर्नलों (जिनमें से 45 के लिए ऑन-लाइन एक्‍सेस हैं) तथा 252 भारतीय जर्नलों व 54 प्रगत/वार्षिक समीक्षाओं के लिए भी अंशदान करता है। वार्षिक रिपोर्टों/भारतीय जर्नलों तथा सोसायटी के प्रकाशनों को भेजकर विश्‍व के तथा देश के 185 संस्‍थानों/पक्षों के साथ विनिमय संबंध भी स्‍थापित किया गया। विभिन्‍न संस्‍थानों से 174 वार्षिक/वैज्ञानिक/तकनीकी रिपोर्टें व 152 बुलेटिन भी पुस्‍तकालय में प्राप्‍त हुए। सीरियल प्राप्ति कार्यक्रम के अन्‍तर्गत योजनागत व्‍यय के रूप में व स्‍नातकोत्‍तर सबलीकरण अनुदान के रूप में कुल 77,07,346 रूपये की राशि निर्धारित की गई है।

 

प्रलेखन संबंधी क्रियाकलाप

एग्रिस परियोजना

     संस्‍थान के पुस्‍तकालय को एग्रिस परियोजना के अन्‍तर्गत राष्‍ट्रीय कृषि अनुसंधान डेटाबेस (एनएआरडी) के लिए निवेश केन्‍द्र के रूप में घोषित किया गया है। इस पुस्‍तकालय को 10 सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण भारतीय जर्नलों से लेखों की छटाई का काम सौंपा गया। यह कार्य AGRIN क्रियाविधि का उपयोग करके  ISO फार्मेट में किया गया। रिपोर्टाधीन अवधि के दौरान 392 लेखों को छांटकर प्रसंस्‍कृत किया गया व उन्‍हें भा.कृ.अ.प. के कृषि प्रकाशन और सूचना निदेशालय को एग्रिस इन्‍डेक्‍स में शामिल करने के लिए भेजा गया।

कृषि में समाचारों का विकास

     कुल 4680 समाचार पत्रों की छानबीन की गई तथा भा.कृ.अ.सं. और भा.कृ.अ.प. से संबंधित 35 समाचार आलेख निदेशक, भा.कृ.अ.सं. व प्रधान वैज्ञानिक, आईटीएमयू को भेजे गए।

प्रलेख प्रसंस्‍करण

     कुल 1597 दस्‍तावेज़ जिनमें पुस्‍तकें, बुलेटिन, भा.कृ.अ.सं. स्‍नातकोत्‍तर शोध प्रबंध तथा हिन्‍दी पुस्‍तकें शामिल हैं, प्रसंस्‍कृत (वर्गीकृत व सूचीपत्रबद्ध) की गईं।

 संसाधन प्रबंध

प्रकाशनों की जिल्‍द

     कुल 2751 खण्‍ड जिनमें 20,000 जर्नलों के अलग-अलग अंक, रिपोर्टें व बुलेटिन शामिल हैं जिल्‍दबंद किये गए तथा 2751 अंकों की प्रविष्टि सूची तैयार की गई।

संदर्भ, परिचालन तथा स्‍टैक रखरखाव

     लगभग 2000 पंजीकृत सदस्‍यों के अतिरिक्‍त पुस्‍तकालय लगभग 125-130 उपयोगकर्ताओं की सेवा भी करता है जो प्रतिदिन लगभग 2000-2500 दस्‍तावेज़ों में संदर्भ देखते हैं। रिपोर्टाधीन अवधि के दौरान पुस्‍तकालय के सदस्‍यों को 10550 प्रकाशन जारी किये गए। कुल 95 दस्‍तावेज़ 'निस्‍केयर' सहित विभिन्‍न संस्‍थानों को अन्‍तर पुस्‍तकालय ऋण प्रणाली के अन्‍तर्गत दिये गए। वैज्ञानिकों सहित समस्‍त स्‍टाफ को 316 अनापत्ति प्रमाण पत्र संबंधित रिकार्ड चेक करने के पश्‍चात् जारी किये गए।

रिप्रोग्राफी सेवाएं

     रिपोर्ट की अवधि के दौरान वैज्ञानिकों तथा तकनीकी कर्मचारियों को वैज्ञानिक तथा तकनीकी साहित्‍य की 89,513 पृष्‍ठों की फोटो प्रतियां अधिकारिक रूप से उपलब्‍ध कराई गईं। रेज़ोग्राफ जीआर 1750 को अद्यतन करने के लिए एक तोशिबा रंगीन फोटोकॉपियर मॉडल स्‍टूडियो 351सी और एक तोशिबा स्‍टूडियो 452 डिजीटल फोटो कॉपियर खरीदे गए।

सीडी-रोम वर्कस्‍टेशन

     उपयोगकर्ताओं के लिए कुल 11,0484 संदर्भ डाउनलोड किये गए। इन उपयोगकर्ताओं में पूरे भारत के वैज्ञानिक व संस्‍थान के छात्र तथा आगंतुक सम्मिलित हैं। लागत आधारित डाउनलोड किये गए संदर्भ 8801 थे जिनसे कुल 7,050 रूपये की धनराशि प्राप्‍त हुई। संस्‍थान के वैज्ञानिकों को इन्‍टरानेट (लोकल एरिया नेटवर्क) की सुविधा प्रदान की गई।

सी-डैक परियोजना

     पुराने दस्‍तावेज़ों को डिजीटलीकृत करने के लिए 4 सितम्‍बर 2004 को सी-डैक (सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) के साथ एक ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किये गए। इस अवधि के दौरान वर्ष 1950 के पूर्व प्रकाशित हुए 6250 ऐसे प्रकाशनों के 43,00000 पृष्‍ठों की छानबीन की गई जो कॉपीराइट अधिनियम के अन्‍तर्गत नहीं आते थे। इन्‍हें सी-डैक द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से देखा जा सकता है। इस परियोजना की प्रथम प्रावस्‍था 31 मार्च 2007 को समाप्‍त हुई।