उपलब्धियां

अनुसन्धान:

A. फल:
  I. पपीता

    पपीते का रिंगस्पॉट विषाणु रोग (पी.आर.एस.वी.) :


  • पी.आर.एस.वी. रोग के पत्तियों (A,B) और डंठल पर (C) लक्षण, तथा विषाणु कणों का इलेक्ट्रान सुक्ष्मदर्शी चित्र (D).

 

सहनशील लाइन का विकास



  • पुणे सिलेक्शन-1 तथा पुणे सिलेक्शन-3 का वर्तमान में उगाई जाने वाली प्रजाति ‘रेड लेडी’ के साथ तुलनात्मक प्रदर्शन
  • पपीते की डाईओसियस (पृथकलिंगी) लाइन, पुणे सिलेक्शन-1 (पीला गूदा) तथा पुणे सिलेक्शन-3 (गुलाबी गूदा), की पी.आर.एस.वी. सहनशील लाइन के रूप में पहचान कर उन्हें National Germplasm Registration Committee, भाकअनुप, नयी दिल्ली में पंजीकृत करा लिया गया है.
  • पी.एस-1 तथा पी एस-3 को गाईनोडाईओसियस (उभयलिंगी) लइनों को पी.एस-1-1 तथा पी.एस.3-1 के रूप में विकसित किया जा रहा है. इनका खेत पर परीक्षण जारी है.

 

 

प्रबंधन

स्टेशन द्वारा विकसित पपीते के पी.एस.आर.वी. रोग के एकीकृत प्रबंधन तकनीक का ‘ऑन-स्टेशन’ प्रदर्शन

 

एकीकृत प्रबंधन :

  •   - सहन-शील लाइन का प्रयोग,
      - पपीते के चारों ओर उपयुक्त सीमा फसलों (केला, ढेंचा, मक्का, इत्यादि) का 3-5 पंक्तियों में उपयोग,
      - पपीते की उस समय रोपाई जब एफिड-वेक्टर (माहू) कीट की संख्या कम हो (पुणे के वातावरण में फरवरी माह),
      - पन्द्रह दिन के अंतराल पर dimethoate (0.05%) कीट नाशक तथा नीम तेल का बारी-बारी से छिडकाव.

 

नर्सरी (पौध उगाने) का मानिकीकरण

  • पपीते की नर्सरी (पौध उगाने) की तकनीक का मानिकीकरण किया गया

 

नए रोग

  • एक फाइटोप्लाज्मा जनित नए रोग देश में पहली बार रिपोर्ट किया गया.

    पपीते पर फाइटोप्लाज्मा जनित रोग के लक्षण (A) तथा इसका पीसीआर द्वारा पुष्टीकरण (B).
  • देश में पपीते के पीआरएसवी तथा फाइटोप्लाज्मा के सयुंक्त संकर्मण को पहली बार रिपोर्ट किया गया.

 

नए होस्ट पौधे

  • खर-पतवार के पौधों (Cucumismelo, Alternantherasessilis, Datura metal तथा Xanthium indicum) की पीआरएसवी के वैकल्पिक होस्ट पौधों के रूप में पहचान की गयी.

 

ट्रांसजेनिक विधि द्वारा पपीते की पीआरएसवी रोधी लाइन का विकास

  • अपरिपक्व भ्रूण का उपयोग कर के टिशू कल्चर के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित किया गया.

 

 II. निम्बू वर्गीय:

  • निम्बू के ग्रीनिंग रोग (सी.जी.बी) के छह आइसोलेट्स के आंशिक जीनोम को अनुक्रमित किया गया तथा एन.सी.बी.आई. जीन बैंक में जमा किया गया. (Accession क्रमांक JQ692599-JQ692604).
  • निम्बू वर्गीय फल वृक्षों पर आनेवाले विषाणु रोगों को फ़ैलाने वाले मावा और सिलिड कीटों के प्रबंधन हेतु acetemaprid (0.005%) और नीम तेल (1%) का बारी-बारी से छिडकाव प्रभावकारी पाया गया.

 

III. केला:

  • केले का बनाना स्ट्रीक विषाणु (बी.एस.वी) देश में पहली बार केले की प्रजातिकांची केला (जीनोटाइप AAB) में पाया गया. तथा आंशिक जीनोम को अनुक्रमित करके एन.सी.बी.आई. जीन बैंक में जमा किया गया (Accession क्रमांकJQ045128). इसके अतिरिक्त Banana Mysore streak के 14 isolates तथा Banana streak virus (Kerala) के 21 isolates अनुक्रमित कर के एन.सी.बी.आई. जीन बैंक में जमा किया गया (Accession क्रमांकNo. JQ858263 से JQ858276) तथा (Accession No. JQ911600 से JQ911619 तथा JQ346523)


A. Mixed infection of BSV and CMV, B. BSV, C. PCR detection of BSV

 

B. सब्जियां:
प्रथम रिपोर्ट: 
  I. जुकुनी (ZUCCHINI)

  • जुकुनी येलो मोज़ेक वायरस को देश में पहली बार जुकुनी में रिपोर्ट किया गया.इसी विषाणु को बाद में खरबूजे, लौकी, खीर तथा तुरई में भी देश में पहली बार रिपोर्ट किया गया.


चित्र: A. जुकुनी येलो मोज़ेक वायरस के जुकुनी के पौधों पर लक्षण, तथा B. विषाणु कण

 

II. खरबूजा/तरबूजा

  • खरबूजे में ‘वाटरमेलन बड नेक्रोसिस वायरस’ संक्रमणदेश में तथा तरबूज में महाराष्ट्र में पहली बार रिपोर्ट किया गया.

 

III. अन्य बेल वर्गीय सब्जियां

  • कद्दू, पेठे तथा खीरे में ‘ग्राउंडनट बड नेक्रोसिस वायरस’ संक्रमणदेश में पहली बार रिपोर्ट किया गया.
  • स्पंज लौकी में ‘पपाया रिंगस्पॉट वायरस– वाटरमेलन’ संक्रमणदेश में पहली बार रिपोर्ट किया गया.

 

IV. सहजन

  • सहजन में ‘पोटैटो वायरस Y संक्रमणदेश में पहली बार रिपोर्ट किया गया.

 

V. शिमला मिर्च

  • पालीहाउस में उगाई गयी शिमला मिर्च में टोबाको इच वायरस तथा पेपर वेनल मोटल वायरस का सयुंक्त प्राकृतिक संक्रमण महाराष्ट्र में पहली बार रिपोर्ट किया गया.

 

टमाटर

  • टोमेटो मोज़ेक वायरस, ग्राउंडनट बड नेक्रोसिस वायरस तथा टोमेटो लीफ कर्ल वायरस का प्रबंधन:
     - बीजोपचार: 0.3% ट्राईसोडियम फोसफेट(टी.एस.पी.) के घोल में 48 घंटे भिगोना.
     - मक्का की सीमा फसल (टमाटर की रोपाई से पहले 4-6 लाइनों में मक्का लगभग 75 सेंटीमीटर ऊंची होनी चाहिए).
      - ककड़ी की ट्रैप फसल (रोपाई से तीन सप्ताह पहले टमाटर की चार लइनों के बाद ककड़ी की एक लाइन).
     - टमाटर की दस लइनों के बाद गेंदे की एक लाइन.
     - नीम के बीज के सत्व (10% ताजा बना हुआ) का प्रति 20 दिन के अंतर पर पौधों पर छिडकाव. दो छिडकाव के बीच में एक बार डाईमेथोइट (0.05%) का छिडकाव.

 

टमाटर के आक्रमक कीट का पता लगना

टमाटर के आक्रमक कीट साउथ अमेरिकन टोमेटो पिन वर्म/लीफ माइनर (Tutaabsoluta) का देश में पहली बार पता लगाया गया. अक्टूबर 2014 में यह कीट पुणे में टमाटर के खेत तथा पालीहाउस में पाया गया. महाराष्ट्र के अन्य प्रमुख टमाटर उगाने वाले जिलों (अहमदनगर, धुले, जलगाँव, नाशिक, पुणे तथा सतारा) में 50% से अधिक संक्रमण पाया गया. इस के आधार पर ICAR तथा IARI की वेबसाइट पर तथा स्थानीय मराठी समाचार पत्र में किसानों के लिए चेतावनी जारी की गयी.

Tuba absoluta damaged tomato plants
चित्र: Tuta absoluta द्वारा टमाटर के पौधों को की गयी हानि