जल प्रौद्योगिकी केन्द्र
डॉ. मान सिंह
अध्यक्ष


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जल प्रौद्योगिकी केन्द्र,भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली का एक शीर्ष तथा अति महत्वपूर्ण केंद्र है ।इस केंद्र की स्थापना सन 1969 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अ.प.) तथा फोर्ड फाउंडेशन की वित्तीय सहायता से हुई थी। यह समेकित जल प्रबंधन क्षेत्र में उच्च कोटि के शोध, शिक्षा, प्रसार एवं प्रशिक्षण का केंद्र है । यहाँ जल प्रबंधन सेसम्बंधित शोध विषयों पर कार्यरत छात्रों, कृषकों,अधिकारियों कर्मचारियों,नीति-निर्माताओं, प्रशासकों एवं विभिन्न पणधारकों (स्टेक होल्डर्स) को उचित परामर्श दिया जाता है। केंद्र का मुख्य ध्यान जल प्रबंधन के लिए प्रक्षेत्र (फार्म) आधारित नवोन्मेषी और उन्नत प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर है । वर्ष 1974 में कमान क्षेत्र विकास (कमांड एरिया डेवलपमेंट) के आरम्भ होने पर वैज्ञानिक आधारित सिंचाई जल वितरण के क्षेत्र में तीव्र गति से अनुसंधान हुए और वर्तमान में भी नित नए शोध देश विदेश में प्रसिद्धि पा रहे हैं । इस केंद्र का मुख्य ध्येय भूजल, सरितप्रवाह, जल विज्ञान, जल निष्कासन, जल के पर्यावरणीय प्रभावों तथा जल के प्रयोग से भूमि, पौधों तथा भूजल में आने वाली सनास्याओं के निराकरण हेतु नवीन तकनीकियों का विकास है ।यह देश का प्रथम ऐसा केन्द्र है, जिसे कमान क्षेत्र विकास प्राधिकरणों तथा सिंचाई विभागों, केन्द्रीय जल आयोग, कृषि विश्वविद्यालयों एवं देश के विभिन्न राज्यों के मृदा संरक्षण विभागों के वरिष्ठ, मध्यम स्तर के एवं कनिष्ठ स्तर के प्रशासनिक एवं तकनीकी कार्मिकों को प्रशिक्षण प्रदान करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है ।इसको भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के कृषि एवं सहकारिता विभाग के विस्तार निदेशालय द्वारा जल प्रबंधन में उत्कृष्ठ केन्द्रके रूप में मान्यता प्रदान की गई है। इस केंद्र द्वारा समय-समय पर देश और विदेश के प्रशिक्षुओं को जल प्रबंधन के विभिन्न विषयवस्तुओं पर नई तकनीक से सम्बंधित 3 दिन से लेकर 6 माह की अवधि तक के संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान किए जाते हैं। भा.कृ.अ.सं. की विद्वत परिषद की संस्तुति से वर्ष 1996 में यहां जलविज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर स्नातकोत्तर एवं डॉक्टरल स्तर के पाठ्यक्रमों की शुरूआत की गयी । साथ ही केंद्र पर पोस्ट डॉक्टरल शोध भी आरम्भ किया जा चुका है ।

कार्य क्षेत्र और दायित्व

  • अखिल भारतीय स्तर पर जल प्रबंधन के सभी आयामों पर मौलिक व व्यावहारिक अनुसंधान करना ।
  • सिंचित और गैर सिंचित क्षेत्रों में उच्चतम फसलोत्पादन के लिए जल एवं भूमि संसाधनों के कारगर उपयोग की विधियों एवं प्रौद्योगिकियों को विकसित करना ।
  • केन्द्रीय व राज्य विभागों तथा अन्य संगठनों जैसे; राज्य कृषि विश्वविद्यालयोंके शिक्षण, अनुसंधान एवं प्रसार कार्य से जुड़े व्यवसायविदों के लिए जल प्रबंधन के सभी विषयों पर अनुदेश उपलब्ध कराना।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विभागों, सिंचाई विभागों तथा जल वितरण एवं अन्य संबंधित विभागों के कर्मियों के जल संबंधी अनुसंधान वव्यावसायिक क्षमताओं का विकास करने में सहायता करना।
  • प्रकाशनों के माध्यम से तथा समय-समय पर संगोष्ठियों,समम्मेलनों व कार्यशालाओं का आयोजन कर विभिन्न फसलों में जल प्रबंधन से उपजे अनुसंधान तकनीकों का पारस्परिक आदान-प्रदान करना।
  • जल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर एवं पी. एच. डी. छात्रों का अध्यापन एवं शोध प्रशिक्षण ।
  • विभिन्न स्रोतों से प्राप्त मल जल के उपचार एवं सुरक्षित जल के उपयोग हेतु कृषि के क्षेत्र में मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान करना ।