डॉ. जे.पी.एस. डबास
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अपनी सुदृढ़ और समर्पित अनुसंधान परंपरा के अनुसार विभिन्न कृषि प्रसार संस्थानों और देश के किसानों के बीच नई प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में भी अग्रणी रहा है। संस्थाान ने अनेक प्रसार विधियाँ और पद्धतियाँ विकसित की हैं और अनेक परियोजनाओं में पहल की है। इनमें प्रमुख हैं, सघन खेती प्रणाली, राष्ट्रीय प्रदर्शनी परियोजना, प्रचालनीय अनुसंधान परियोजना, बीज ग्राम योजना, मिनी-किट कार्यक्रम, लघु और सीमांत किसान विकास कार्यक्रम, एकीकृत संपूर्ण ग्राम विकास विधि, एकल खिड़की प्रणाली और किसान-से-किसान तक गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन कार्यक्रम।
संस्थान के अपने प्रौद्योगिकी हस्तांंतरण कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्त्र पर स्थापित करने के लिए सन 1984 में एक पृथक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण इकाई (UTT) की स्थायपना की। स्थान विशिष्ट के कार्यक्रमों पर जोर देते हुए इस इकाई ने देश के विभिन्न भागों में कार्य किया, जैसे उत्तर प्रदेश के फतेहपुर, मिर्जापुर, इलाहाबाद, उत्तरकाशी (वर्तमान उत्तराखंड), बुलंदशहर, गाजियाबाद जिले; मध्य प्रदेश के मंडला और राजस्थान का सीकर जिला आदि। क्यू.आर.टी. (1983-1987) की अनुशंसाओं को मंजूर करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण इकाई का दर्जा बढ़ाकर सन 1998 में कृषि प्रौद्योगिकी आकलन एवं स्थानांतरण केंद्र (CATAT) की स्थापना की।