डॉ. अमरेंदर कुमार
प्रभारी
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अनुरूपण एवं सूचनाविज्ञान की स्थापना नवम्बर 2003 में भा.कृ.अ.सं. के जैव-सूचना केन्द्र, प्रणाली अनुरूपण के अनुप्रयोग के लिए स्थापित इकाई एवं इंटरनल सुविधा को समेकित करके की गई थी। 1989 और 2000 के बीच जैव सूचना केन्द्र की स्थापना जैव-प्रौद्योगिकी सूचना प्रणाली नेटवर्क के एक अंग के रूप में भारत सरकार के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा की गई थी, ताकि यह कृषि जैव-प्रौद्योगिकी, तथा सामान्य रूप से कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में कम्प्यूटरीकृत सूचना आधार के रूप में कार्य कर सके। अपने स्थापना काल से जैव सूचना केन्द्र ने अनुसंधानकर्ताओं, छात्रों व किसानों को विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराई हैं जैसे नेटवर्क के माध्यम से बिब्लियोग्राफिक ऑन लाइन सर्च आदि। इसके अतिरिक्त सीडी रोम सर्वर, इलेक्ट्रॉनिक मेल, इंटरनेट, डेटाबेस के सृजन और अद्यतीकरण, अनुसंधान आंकड़ों के सांख्यिकी विश्लेषण, प्रोटीन क्रम विश्लेषण, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, जैव सूचना विज्ञान पर कार्यशालाओं तथा वर्तमान चेतना सेवाओं के माध्यम से इस केन्द्र ने कुछ महत्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराई हैं।
अनुरूपण एवं सूचना विज्ञान इकाई के गठन के पूर्व दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जैव सूचना केन्द्र में बायो-टैक्नोलॉजिकल एब्सट्रैक्ट इंफार्मेशन रिट्राइवल सिस्टम (बीएआईआरएस) का विकास किया था जिसका छात्रों तथा अनुसंधानकर्ताओं ने गहन उपयोग किया। सृजित डेटाबेस मुख्यत: प्रकाश संश्लेषण, पादप आण्विक जैविकी एवं पादप ऊतक संवर्धन पर भारतीय पर्यावरण के अंतर्गत किए गए अनुसंधान कार्य से संबंधित है। अनुरूपण एवं सूचना विज्ञान इकाई के गठन के पश्चात (नवम्बर 2003) में। इस इकाई को कृषि सूचना विज्ञान से संबंधित विभिन्न घटक विकसित करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया और इसके साथ ही इसे जैव सूचना विज्ञान संबंधी क्रियाकलापों एवं संस्थान के नेटवर्क के रखरखाव, वेबसाइट तथा वैब सर्वर के एडमिनिस्ट्रेशन का कार्य भी सौंपा गया। चूंकि इस इकाई पर पूर्ण रूप से इस संस्थान के लिए इंटरनेट सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं उनके अनुरक्षण का उत्तरदायित्व है, अत: इसका मुख्यए समय और प्रयास सेवा यूनिटों को सुचारू बनाए रखने की दिशा में रहता है। इसके साथ ही यहां अनुसंधान एवं शिक्षा संबंधी क्रियाकलाप भी संचालित होते हैं। हाल ही में इस केन्द्र में ई-कृषि परामर्श कार्य आरंभ किया गया है तथा 'आई ए आर आई –ए केटालिस्ट ऑफ चेंज' शीर्षक की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी तैयार की गई है जिसे 2005 में समय-समय पर आने वाले विशिष्ट अतिथियों को उपहार स्वरूप भेंट किया गया। इस इकाई के अधिदेश हैं –
अनुरूपण एवं सूचना विज्ञान इकाई के गठन के पूर्व दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जैव सूचना केन्द्र में बायो-टैक्नोलॉजिकल एब्सट्रैक्ट इंफार्मेशन रिट्राइवल सिस्टम (बीएआईआरएस) का विकास किया था जिसका छात्रों तथा अनुसंधानकर्ताओं ने गहन उपयोग किया। सृजित डेटाबेस मुख्यत: प्रकाश संश्लेषण, पादप आण्विक जैविकी एवं पादप ऊतक संवर्धन पर भारतीय पर्यावरण के अंतर्गत किए गए अनुसंधान कार्य से संबंधित है। अनुरूपण एवं सूचना विज्ञान इकाई के गठन के पश्चात (नवम्बर 2003) में। इस इकाई को कृषि सूचना विज्ञान से संबंधित विभिन्न घटक विकसित करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया और इसके साथ ही इसे जैव सूचना विज्ञान संबंधी क्रियाकलापों एवं संस्थान के नेटवर्क के रखरखाव, वेबसाइट तथा वैब सर्वर के एडमिनिस्ट्रेशन का कार्य भी सौंपा गया। चूंकि इस इकाई पर पूर्ण रूप से इस संस्थान के लिए इंटरनेट सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं उनके अनुरक्षण का उत्तरदायित्व है, अत: इसका मुख्यए समय और प्रयास सेवा यूनिटों को सुचारू बनाए रखने की दिशा में रहता है। इसके साथ ही यहां अनुसंधान एवं शिक्षा संबंधी क्रियाकलाप भी संचालित होते हैं। हाल ही में इस केन्द्र में ई-कृषि परामर्श कार्य आरंभ किया गया है तथा 'आई ए आर आई –ए केटालिस्ट ऑफ चेंज' शीर्षक की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी तैयार की गई है जिसे 2005 में समय-समय पर आने वाले विशिष्ट अतिथियों को उपहार स्वरूप भेंट किया गया। इस इकाई के अधिदेश हैं –
- फसल वृद्धि, निवेश प्रबंधन, कीट नाशकजीव गतिकी और उत्पादन पूर्वानुमान पर भरोसेमंद कम्प्यूटर मॉडलों के निर्माण एवं उनके सत्यापन के लिए सूचना तथा आंकड़ों का सृजन व समेकन।
- इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना, गतिशील वेबसाइट का अनुरक्षण, कृषकों को परामर्शक सेवाएं उपलब्ध कराना, संस्थान द्वारा टेलीकांफ्रेंसिंग तथा ई-मेल सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना।
- गेहूं, मक्का, चावल, चना और मूंग पर संतति प्रबंध से संबंधित डेटाबेस का विकास।
- फील्ड आंकड़ों के विश्लेषण, मैट्रिक्स की तुलना करने के लिए उचित सांख्यिकी पैकेजों का विकास तथा आण्विक मार्कर सहायी प्रणालियों/चयन तथा आण्विक जैविकी के लिए उपयुक्त व कार्यान्वयनशील विविधता संबंधी विश्लेषण।