प्रमुख क्षेत्र

  • संसाधनों के अधिकतम उपयोग (जैसे जैविक खाद रसायनिक, खाद एवं पानी) से मृदा, पौधों के वातावरण में पोषक तत्वों का रिसाव एवं बहाव सहित मृदा प्रसंस्करण की मॉडलिंग द्वारा अधिकतम उत्पादकता और वातावरणीय सुरक्षा सुनिशिचत करना।
  • समेकित पोषक तत्वों की आपूर्ति से फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मृदा स्वास्थ्य को टिकाऊ बनाना, मृदा संसाधन प्रबन्धन के लिए सुदूर सवेदी और जी.आइ.एस का प्रयोग करना।
  • मृदा जैव संहता (बायोटा), भारी धातुओं के प्रदूषण का प्रभाव एवं उपाय।
  • कार्बन पृथक्करण और नाइट्रोजन चक्रण की क्रिया को बढ़ाने के लिए मृदा की जैव विविधता का मूल्यांकन।
  • अनिशिचत जलवायु दशाओं में फसल राइजोफीयर में पोषण रुपान्तरण।
  • आइ.पी.एन.एस के गैर परंपरागत संसाधनो के उपायों का मूल्यांकन और मृदा परीक्षण आधारित फसल पोषण अनुसूची के निर्माण में उनकी उपयोगिता निर्धारण करना।
  • मृदा में समेकित धात्विक घुलनशीलता के द्वारा धातु से संदूशित मृदा के जोखिम का मूल्यांकन एवं खादय श्रृखंला और पशु और मानच (उपभोक्ता) के स्वास्थ प्रति खतरे से संबंधित संकल्पनाओं का विकास करना।
  • पौध पोषण के स्त्रोतों के रुप में कृषि अपशिष्ट का प्रबंधन।
  • किसी भी भौतिक, रासायनिक और जैविक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए खाद के उपयोग को सुझाने के लिए मृदा परीक्षण पद्धतियों का विकास और परिशोधन करना।

विकसित प्रौ़द्योगिकियां

    • पोषक उपयोग दक्षता बढ़ाने हेतु उर्वरक उत्पाद का संलेशण एवं मूल्यांकन: गेहूं फसल की उपज बढ़ाने में जिंक सल्फेट की संस्तुतित मात्रा का नैनो क्ले पॉलीमर कम्पोजिट के रूप मे केवल पांचवा भाग समान रुप से प्रभावी था। इसका बीज लेपन तथा परंम्मरागत तरीके से जिंक की संस्तुति मात्रा का पांचवा भाग प्रयोग में किया गया।
    • महत्वपूर्ण फसलों के लिए मृदा परीक्षण एवं फसल प्रतिक्रिया पर आधारित समीकरण तैयार किये गये।
    • पूसा मृदा परीक्षक (पूसा एस टी एफ आर मीटर) में सुधारः पूसा एस टी एफ आर मीटर में सुधार करते हुऐ बोरान, लोहा, मैग्नीज एवं कापर की गणना के साथ कुल चैदह माप दण्डों के लिए मान्यता दी गई जो मृदा स्वास्थ कार्ड जारी करने के लिये भारत सरकर द्वारा मान्य है।
    • संरक्षित कृषि के अन्तर्गत मृदा समूPPचय एवं जैविक कार्बन एकत्रित होना: परम्परागत कृषि की तुलना में संरक्षित कृषि से मक्का- गेहूं-मूंग प्रणाली की मृदा में कुल मृदा जैव कार्बन अधिक पाया गया। साथ ही संरक्षित कृषि में फॉस्फोरस की संस्तुति मात्रा 50 प्रतिषत के साथ फाॅस्फोरस घुलनषील जैवीय रुप में प्रयोग करने पर मक्का-प्रणाली में फसलों की जड़ों के विकास नियंत्रण उपचार की तुलना में सार्थक रुप सुधार देखा गया।

STFR: मृदा परीक्षण व उर्वरक संस्तुति मीटर

मृदा परीक्षण हेतू मृदा नमूने लेने के विधि का प्ररिक्षण

    • विभिन्न मृदा रसायन पर्यावरण के अन्तर्गत मैग्नीज की उपलब्धताः फसल उपज के संदर्भ में आग्जेलिक अम्ल (5 मिलीग्राम) के साथ मैग्नीज (5 मिलीग्राम एफ़डी/किलोग्राम) का प्रयोग अधिक प्रभावी था जो साहित्यक रुप से मैंगनीज की संस्तुति मात्रा (20 मिलीग्राम/ किलोग्राम) के समान था।
    • दीर्धकालीन उर्वरीकरण एवं खादों के अंतर्गत क्ले ह्नयूमस स्थिरता। रसायन खाद/नियंत्रित उपचार की तुलना में अजैविक सुधाराकों (जैसे ना.फा.पो.गोबर खाद ना.फा.पो.भूसा एवं हरी खाद) सें अधिक स्थिरता देखी गयी तथा धान- गेहूं प्रणाली में भूसा उपचार से गोबर खाद एवं हरी खाद उपचारों में अधिकतम स्थिरता देखी गयी।

Nano-clay polymer composites (जिंक युक्त नैनो-क्ले पोलीपर कम्पोजिट)

  • संरक्षित कृषि में मृदा फॉस्फोरस गतिकी और उसका फॉस्फोरस उपयोग दक्षता पर उपयुक्तताः फसल अवशेष संधारण का मृदा में उपस्थित घुलनषील एवं लूजली बांउड़ फॉस्फोरस के साथ घनात्मक प्रभाव था। अधिकतम सस्य दक्षता फसल अवशेष 5% एवं 7% की तुलना मे फसल अवषेश संधारण (25%) उपचार के साथ दर्ज की गई। जबकि फॉस्फोरस की 50% संस्तुति मात्रा के साथ फॉस्फोरस घुलनषील जैव घोलक के साथ अधिकतम फॉस्फोरस की सस्य दक्षता दर्ज की गई।

Site-specific nutrient management (क्षत्रिय-विषेश पोशक तत्व प्रबंन्धन)