संभाग सूक्ष्‍मजीव विज्ञान के क्षेत्र में समय-समय पर अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम, अल्‍पावधि पाठ्यक्रम व कार्यशालाएं आयोजित करता है।

संभाग के मुख्‍य क्रियाकलाप इस प्रकार हैं :

अनुसंधान : अनुसंधान में प्रमुख बल जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण, कार्बनिक पदार्थों के अपघटन, फार्म अपशिष्‍टों के पुनश्‍चक्रण, फास्‍फोरस को घुलनशील बनाने, पादप बढ़वार प्रवर्धक राइज़ोबैक्‍टीरिया (पीजीपीआर), नाशकजीवनाशी तथा कृत्रिम पॉलीमर जैव अपघटन, राइज़ोबिया, साइनोबैक्‍टीरिया तथा कृषि की दृष्टि से महत्‍वपूर्ण सूक्ष्‍मजीवों के आण्विक जीवविज्ञान पर दिया जाता है।

मानव संसाधन विकास : मास्‍टर तथा डॉक्‍टरल उपाधि कार्यक्रम प्रदान करने के लिए शिक्षण कार्यक्रम पर आधारित नियमित ट्राइमेस्‍टर पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। सूक्ष्‍मजीव विज्ञान, जैव उर्वरकों के उत्‍पादन (जीवाणुओं तथा साइनोबैक्‍टीरिया) और कम्‍पोस्टिंग प्रौद्योगिकी पर आवश्‍यकतानुसार अथवा तदर्थ कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

प्रसार : सूक्ष्‍मजीव विज्ञान संभाग प्रशिक्षणों, किसान मेलों, प्रशिक्षण प्रदर्शनों, संस्‍थागत एजेन्सियों तथा प्रसार से संबंधित अन्‍य क्रियाकलापों के माध्‍यम से प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण के कार्य में सक्रिय रूप से संलग्‍न है।

प्रौद्योगिकी विकास/प्रसार क्रियाकलाप

      जीवाण्विक (राइज़ोबियम, एज़ोटोबैक्‍टर, एज़ोस्पिरिलम, फास्‍फेट विलायकों) आरबसकुलर माइकोराइज़ा (पोषक तत्‍व को गतिशील बनाने वाले) तथा साइनोबैक्‍टीरियाई (नील हरित शैवाल) जैव उर्वरकों के वृहत पैमाने पर उत्‍पादन के लिए उत्‍पादन प्रोटोकॉल का विकास। ये जैव उर्वरक नियमित रूप से तैयार किये जाते हैं तथा बिक्री के लिए उपलब्‍ध हैं।

      कारगर प्रभेदों का उपयोग करके पोषक तत्‍वों से समृद्ध कम्‍पोस्‍ट के उत्‍पादन और कृषि अपशिष्‍टों के अपघटन के लिए इनके बड़े पैमाने पर उत्‍पादन हेतु एक कारगर प्रोटोकॉल का मानकीकरण किया गया है।

      नेशनल फर्टिलाइज़र लिमिटेड तथा भा.कृ.अ.सं. की एक सहयोगी परियोजना है जिसका शीर्षक 'भा.कृ.अ.सं. और नेशनल फर्टिलाइज़र लिमिटेड का संयुक्‍त जैव उर्वरक विस्‍तार कार्यक्रम'। इसके अन्‍तर्गत राइज़ोबियम, एज़ोटोबैक्‍टर तथा फास्‍फेट को घुलनशील बनाने वाले जैव उर्वरक प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण हेतु इस संस्‍थान द्वारा पहचाने गए गांवों के किसानों को आपूर्त किये गए हैं। ये जैव उर्वरक 'कैटेट' के माध्‍यम से किसानों के खेतों में परीक्षण के लिए समय-समय पर उपलब्‍ध कराए गए हैं।

      नाइट्रोजन स्थिरीकरण, मृदा क्रोड़ों का उपयोग करते हुए धान के खेतों में नील हरित शैवाल के जीवद्रव्‍य योगदान, नाइट्रोजन स्थिरीकरण व मीथेन उत्‍पादन पर फसल बढ़वार की विभिन्‍न अवस्‍थाओं के दौरान भरोसेमंद आकलन हेतु एक उन्‍नत प्रोटोकॉल विकसित किया गया है। इस प्रोटोकॉल का उपयोग वर्तमान में इस संस्‍थान में चावल-गेहूं फसल प्रणाली में समेकित पोषक तत्‍व प्रबंध संबंधी क्रियाविधियों के अन्‍तर्गत नील हरित शैवाल-एज़ोला जैव उर्वरकों के योगदान के मूल्‍यांकन के लिए किया जा रहा है।

      बड़ी संख्‍या में मृदा/जल नमूनों के लिए एमपीएन के माध्‍यम से साइनोबैक्‍टीरिया की गणना के लिए एक समय और लागत की दृष्टि से प्रभावी माइक्रोप्‍लेट आधारित विधि विकसित की गई है जिसका मूल्‍यांकन चावल और गेहूं के खेतों से लिए गए मिट्टी के नमूनों में किया जा रहा है।