प्रशिक्षण एवं विस्तार गतिविधियाँ

    • वैज्ञानिक भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम, मेरा गाँव मेरा गौरव (MGMG) में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
    • विभिन्न अवसरों पर, सभाग के वैज्ञानिक कृषक-वैज्ञानिक परस्पर परिचर्चा के साथ-साथ सूत्रकृमि जागरूकता कार्यक्रमों में कार्य करते हैं।
  • सूत्रकृमि सभाग समय-समय पर सूत्रकृमियो पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम, मॉडल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करता है।

 

कृषक जागरूकता कार्यक्रम

      • सूत्रकृमि की समस्याओं और उनके प्रबंधन को प्रदर्शित करने के लिए गाँव और उसके आस-पास प्रशिक्षण-शिविर का आयोजन गाँव बासा पदमका, पटौदी में केवीके, शिकोहपुर के सहयोग से किया गया, जिसमे लगभग 70 किसानों ने प्रशिक्षण-शिविर में भाग लिया। मिर्च और अन्य सब्जियों को हानि पुहचाने वाले जड़-गाँठ सूत्रकृमि और उन लक्षणों सूत्रकृमि प्रबंधन के वारे मे सुझाव दिये।
    • कृषि विस्तार के सहयोग से ग्राम मुमताजपुर, पटौदी में एसआरआई (चावल की खेती की प्रणाली) में एकीकृत INM (एकीकृत निमेटोड प्रबंधन) पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।

कृषको की फसल में सूत्रकृमि क्षति के आदर्श स्थान और उनके प्रबंधन हेतू सिफारिशे

      • मुरथल सोनीपत में सर्वेक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि, बैगन की फसल को जड़-गाँठ सूत्रकृमि एम. ईंकोगनिटा  द्वारा भारी क्षति अंकित की गई, अत: इस क्षेत्र को एम. ईंकोगनिटा के लिए उपयुक्त स्थान माना जाता है।
      • खरीफ काल के दौरान, हरियाणा के सोनीपत जिले में कृषक आमतौर पर चावल-गेहूं की फसल की चक्रानुक्रम खेती करते है, चावल के फसल में एम. ग्रामिनकोला की बाधा अंकित की गई। सोनीपत जिले के झुंडपुर गाँव में एम. ग्रामिनिकोला  के प्रबंधन हेतू कार्बोफ्यूरन डेढ़ किलोग्राम एआई / हेक्टेयर और नीम के बीज का पाउडर द्वारा उपचारित करके सूत्रकृमियो के नियंत्रण के लिए फील्ड ट्रायल किया गया, परिणामस्वरूप अनुपचारित की तुलना में सूत्रकृमियो की सख्या मे 32% कमी अकित की गई और उपज में वृद्धि हुई।
      • उत्तर प्रदेश के मुरादनगर में कंद की फसल को हानि पुहचाने वाले जड़-गाँठ सूत्रकृमि एम. ईंकोगनिटा के प्रति किसानों के खेत में फेरेट और कार्बोफ्यूरन @ 2 और 4 किलोग्राम a.i./है की दर से उपचार करके खेत परीक्षण आयोजित किया, परिणामस्वरूप एम. ईंकोगनिटा  की सख्या मे 25-60% की कमी अकित की गई तथा फॉरेट की तुलना में कार्बोफ्यूरान अधिक प्रभावशाली था।
      • हरियाणा के सोनीपत जिले के झंडपुर गाव मे चावल की खेती को हानि पुहचाने वाले एम. ग्रामिनिकोला  के प्रबंधन पर प्रदर्शन के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के नेकपुर गाव मे प्रत्यारोपण के लिए स्वस्थ और रोग मुक्त रोपण सामग्री बनाने के लिए नर्सरी में कार्बोफ्यूरन 1 किलो एअर/है की दर से उपचारित करके अधिक अंकुरण अकित किया गया।
    • नजफगढ़ ब्लॉक, दिल्ली और हयातपुर, गुड़गांव में गेहूं के ‘मोलिया रोग’ को सूत्रकृमिनाशको और फसल के रोटेशन द्वारा प्रबंधन।