किसानों तथा प्रसार कर्मियों के लिए परिसर में प्रशिक्षण कार्यक्रम

दिल्‍ली के विकास विभाग के प्रसार कर्मियों व किसानों के ज्ञान व निपुणता को बढ़ाने के लिए संबंधित विषयों पर नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम। प्रत्‍येक मामले के आधार पर विभिन्‍न राज्‍य कृषि विभागों/स्‍वयंसेवी संगठनों द्वारा संसाधनों की उपलब्‍धता, छात्रावासों तथा अन्‍य सुविधाओं की उपलब्‍धता के आधार पर प्रायोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम

अग्रपंक्ति प्रदर्शन

गेहूं और मक्‍का की विभिन्‍न नवीनतम किस्‍मों तथा इन फसलों की अन्‍य उन्‍नत उत्‍पादन प्रौद्योगिकियों पर उत्‍तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों, हरियाणा के राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र वाले जिलों तथा राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली के चुने हुए गांवों में गेहूं (गेहूं अनुसंधान निदेशालय) तथा मक्‍का (मक्‍का अनुसंधान निदेशालय) पर अग्रपंक्ति के प्रदर्शनों का आयोजन।

कृषि विज्ञान मेले/प्रदर्शनियां

प्रत्‍येक वर्ष फरवरी/मार्च के दौरान तीन दिवसीय वार्षिक पूसा कृषि विज्ञान मेले का आयोजन केन्‍द्र का एक प्रमुख व बड़ा क्रियाकलाप है। राष्‍ट्रीय महत्‍व के किसी उल्‍लेखनीय विषय पर इस मेले में अनेक किसान, राज्‍य विकास विभागों के प्रसार कार्यकर्ता, छात्र तथा अन्‍य आगन्‍तुक देश के विभिन्‍न भागों से शामिल होने के लिए आते हैं। भा.कृ.अ.प. के अनेक संस्‍थान व राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालय, सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की विकास एजेन्सियां, स्‍वयंसेवी संगठन, स्‍वयं सहायता समूह तथा अग्रणी निजी कम्‍पनियां मेले के दौरान अपने नवीनतम उत्‍पादों, प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शन/बिक्री के लिए यहां लाते हैं। सब्जियों और फूलों की संरक्षित खेती के सजीव प्रदर्शन किये जाते हैं, मृदा और जल परीक्षण की नि:शुल्‍क सेवा उपलब्‍ध कराई जाती है, कर्तित फूलों का प्रदर्शन किया जाता है, विदेशी सब्जियों व फलों की उन्‍नत किस्‍में प्रदर्शित होती हैं। सार्वजनिक और निजी कम्‍पनियों द्वारा उच्‍च उपजशील किस्‍मों के बीजों/पौधों/उत्‍पादों/कृषि प्रकाशनों की बिक्री की जाती है, खेतीहर महिलाओं के सशक्तिकरण पर कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं, नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकियों पर विडियो फिल्‍में प्रदर्शित होती हैं और किसान गोष्ठियों का आयोजन भी किया जाता है। ये सभी इस मेले के प्रमुख आकर्षण हैं।

कृषि प्रदर्शनियों में भागीदारी

फसल बढ़वार संबंधी मॉडल (डब्‍ल्‍यूटीजीआरओडब्‍ल्‍यूएस, ओआरवाईजेडए तथा इन्‍फोक्रॉप) जलवायु परिवर्तन के विभिन्‍न परिदृश्‍यों के अन्‍तर्गत इस क्षेत्र की विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण फसलों के लिए रूपांतरित किये गए व उनका परीक्षण किया गया। फसलों पर बढ़ते हुए तापमान, कार्बन डाइऑक्‍साइड की बढ़ी हुई सांद्रता और धुंध के प्रभावों का मूल्‍यांकन किया गया ताकि प्रभाव का ठीक-ठीक पता लगाया जा सके। विभिन्‍न कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों में फसल प्रणालियों की उत्‍पादकता बनाए रखने के लिए सस्‍यविज्ञानी व संसाधन प्रबंध संबंधी विकल्‍पों का मात्रात्‍मक निर्धारण किया गया। इसके लिए सूत्रात्‍मक/गतिज मॉडलों का उपयोग किया गया है। फसलों की बढ़वार व उपज पर अन्‍तर-मौसमी जलवायु विविधता के प्रभावों का लक्षण वर्णन किया गया है। जीआईएस का उपयोग करते हुए अनुरूपण मॉडलों के साथ जैव भौतिकी व सामाजिक-आर्थिक पहलुओं के समेकन द्वारा क्षेत्रीय आधार पर विश्‍लेषण करने के प्रयास किये जा रहे हैं।

फसल/मृदा मॉडलों के साथ संपर्क के लिए कृषि आधारित लेयरों को तैयार करना

पूरे भारतीय क्षेत्र के लिए जैव भौतिकी तथा सामाजिक-आर्थिक पहलुओं के संदर्भ में विभिन्‍न कृषि पारिस्थितिकियों के लक्षण वर्णन के लिए स्‍थानिक बहु-परती मानचित्र सामान्‍यत: उपलब्‍ध नहीं है। एक स्‍थानिक इन्‍टरपोलेशन तकनीक जिससे सामान्‍यत: थेइसेन पॉलीगोन विधि कहा जाता है के माध्‍यम से अनुप्रयोग के बिन्‍दु संबंधी परिणामों के डेटाबेस के संकलन व संग्रहण द्वारा विविध कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों के ये मानचित्र तैयार करने का एक प्रयास किया गया है। इसके लिए डेटाबेसों के संकलन हेतु संबंधित साहित्‍य का गहन सर्वेक्षण किया गया।

मृदा सस्‍यविज्ञानी कार्बन, मृदा नाइट्रोजन, गेहूं की बुवाई की तिथियों, नमी की उपलब्‍धता पर कृषि सूचना विज्ञान संबंधी डेटाबेस तैयार किये जा रहे हैं। इन डेटाबेसों के अनुरूपण मॉडलों का उपयोग कृषकों को उपलब्‍ध कराई जाने वाली ऑन-लाइन कृषि परामर्श सेवा में किया जाएगा।

 भूमि उपयोग नियोजन, कृषि उत्‍पादन के आकलन तथा अनुप्रयोगों जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों आदि के लिए फसल मॉडलों से युक्‍त कृषि सूचना विज्ञान की परतों के पारस्‍परिक संपर्क की क्रियाविधि विकसित की जा रही है।

गेहूं की किस्‍मों की वंशावली उनकी पूर्वजता को स्‍थापित करने के लिए तैयार की जा रही है। गेहूं की विभिन्‍न फसलों के निष्‍पादन का अध्‍ययन अजैविक और जैविक प्रतिबलों के संबंध में किया जाएगा जिससे विभिन्‍न कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों के लिए उनकी उपयुक्‍तता के बारे में ज्ञान प्राप्‍त करने में सहायता मिलेगी। इससे ताप तथा सूखा सहिष्‍णु जीनप्ररूपों की पहचान में भी सहायता मिलेगी। इसी प्रकार कृषि उत्‍पादन को उपयुक्‍तम बनाने के लिए संभावित हलों के रूप में टिकाऊ सस्‍यविज्ञानी प्रबंधन विधियों को भी पहचानने के प्रयास किये जा रहे हैं।

आकाशवाणी कृषि पाठशाला

     आकाशवाणी, नई दिल्‍ली तथा दिल्‍ली दूरदर्शन के सहयोग से समय-समय पर विभिन्‍न फसलों एवं उनकी उत्‍पादन प्रौद्योगिकियों पर आकाशवाणी/कृषि दर्शन पाठशालाएं आयोजित की जाती हैं।

प्रकाशन

     यह केन्‍द्र किसानों के लिए समय-समय पर तकनीकी बुलेटिनों, पुस्तिकाओं तथा पम्‍फलेट आदि के रूप में अनेक उपयोगी प्रकाशन निकालता है।

प्रोडक्‍शन इकाई

     संस्‍थान के विभिन्‍न संभागों/केन्‍द्रों के वैज्ञानिकों के प्रतिनिधित्‍व में गठित प्रोडक्‍शन इकाई केन्‍द्र का एक महत्‍वपूर्ण घटक है। इसके द्वारा विभिन्‍न अनुसंधान क्रियाकलापों/प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्‍वयन किया जाता है तथा किसानों की आवश्‍यकता आधारित समस्‍याओं को सुलझाया जाता है।