संभाग की विशिष्‍ट अनुसंधान उपलब्धियां ( 2015 तक )

  • उत्तर-भारतीय अवस्थाओं के तहत धान, मक्का और सूरजमुखी के संकर बीज-उत्पादन के लिए तकनीकों का मानकीकरण
  • टमाटर, बैंगन और फूलगोभी के संकर बीज उत्पादन की प्रौद्योगिकियों का विकास
  • खेतीहर और सब्जी फसलों के लिए बीज संवृद्धि प्रौद्योगिकी
  • बीज के भंडार की लंबी अवधि के लिए उपयुक्‍त पैकिंग-व्‍यवस्‍था का विकास
  • प्रोटीन और डीएनए मार्करों का उपयोग करते हुए किस्‍मगत पहचान और संकर परीक्षण के प्रोटोकॉल का विकास
  • चावल और मक्‍का में रूपआकृतिक, जैव रासायनिक और आण्विक मार्करों का समाकलन करते हुए डीयूएस (टेस्‍ट) परीक्षण विशेषताओं को मान्‍यता/वैधीकरण देना
  • अनाजों, दालों, तिलहनों, रेशे वाली फसलों और सब्जियों में डीयूएस परीक्षण निर्देशिका के विकास के लिए राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व के अवसर उपलब्‍ध कराना
  • खरपतवार के बीजों की पहचान व उनकी (लक्षण निर्धारण) विशेषताएं बताना
  • खेतों, सब्जियों, औषधीय और हरी खाद वाली फसलों के बीज परीक्षण की प्रक्रिया का मानकीकरण
  • बीज परीक्षण प्रक्रियाओं की एकसमानता को बढ़ाना और उसका मूल्‍यांकन करना

वर्ष 2016-2020 के दौरान विशिष्‍ट उपलब्धियां ( पिछले पांच वर्षों में )

  • चावल के बीज गुणवत्ता सम्बन्धी परीक्षणों से पता चला की सत्यभामा वंदना एवं सहभागी किस्में बीज पुष्टता से युक्त किस्में हैं । सूखा सहिष्णुता केलिए गेहूं के अंतरप्रजनित वंशक्रमों की पहचान की गयी जो बीज पुष्टता सम्बन्धी गुणों में उत्कृष्ट पाए गए। एकल शून्य ब्रासिका ज़ुन्सिया जीनप्ररूपों में बीज गुणवत्ता के ऊपर बीज कवच के रंग का प्रभाव देखा गया और काले बीज कवच वाले प्ररूप बेहतर पाए गए । अरहर सोयाबीन और विशेष मक्का के बीज प्राइमिंग का मानकीकरण किया गया । बीज गुणवत्ता केलिए सोयाबीन जीनप्ररूपों का गुणप्ररूपण एवं जीनप्ररूपण । 2015-16 में लगभग 1350 टन बीज उत्पदान प्राप्त किया गया जिसमें नई दिल्ली स्थित बीजोत्पादन इकाई तथा तीन क्षेत्रीय केंद्र नामतः करनाल, इंदौर और पूसा बिहार का सम्मिलित योगदान रहा ।
  • बीज गुणवत्ता विशेषताओं पर अध्ययन के अंतर्गत चावल में बीज विकास एवं ओज, यांत्रिकी प्रसंस्करण द्वारा पैडी बंट का प्रबंधन, चावल में अंकुरण गति केलिए ट्रांसक्रिप्टॉम विश्लेषण, काल प्रभावान के दौरान पीले दानों वाले भारतीय सरसों गुणवत्ता जीनप्ररूपों के बीजों में उत्प्रेरित कार्यिकी परिवर्तन, सोयाबीन के पैतृकों तथा विभिन्न आर आई एल में भण्डारण का प्रभाव, दबाव परिस्थितियों के अंतर्गत अरहर में खेत स्थापना में सुधार, विशिष्ट मक्का में बीज गुणवत्ता का मूल्याकन 2016-17 में किये गए । संकर बीज उत्पादन के तहत चावल संकरों के पैतृक वंशक्रमों में समकालिकता का अध्ययन, चावल में संकर बीज का शुद्धता आकलन, संकर मक्का के पैतृक वंशक्रमों का मूल्याकन, भारतीय सरसों की संकरता का स्तर पर शोध किये गए । 2016-17 में लगभग 1091 टन बीज उत्पदान प्राप्त किया गया जिसमें नई दिल्ली स्थित बीजोत्पादन इकाई तथा तीन क्षेत्रीय केंद्र नामतः करनाल, इंदौर और पूसा बिहार का सम्मिलित योगदान रहा ।
  • बीज गुणवत्ता सम्बन्धी अध्ययन के अंतर्गत भारतीय सरसों के विभिन्न प्रकारों में बीजान्कुरण के दौरान सुपरऑक्साइड अंश और अक्ष की लम्बाई, विशिष्ट मक्का में भण्डारण के अंतर्गत बीज गुणवत्ता का मूल्यांकन, अरहर के प्राइम किये गए बीजों में प्रति ओक्सिकारक एन्ज्य्मी क्रिया, सोयाबीन के विभिन्न पुनर्संयोगी अंतर्प्रजात वंशक्रमों में एस्कॉर्बएट- ग्लुटथिओन चक्र, सोयाबीन में प्राइमिंग के विभिन्न उपचारों के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ अनुक्रियाशील किस्मों का चयन, अरहर एवं सोयाबीन में फील्ड उद्भव एवं भण्डारण पर प्राइमिंग का प्रभाव, वृद्धि के विभिन्न मौसमों में मूंग की किस्मों के बीज में कठोरता का अध्ययन, भण्डारण के दौरान प्याज़ के बीज की गुणवत्ता बढ़ाने में जैव एजेंटों की सक्षमता पर शोध किये गए । चावल के सीइमएस वंशक्रमों में बीजोत्पादन, मक्का में जनक वंशक्रमों के पुष्पण का सम्कालीकरण, अरहर में बीज उपज तथा गुणवत्ता सम्बन्धी कारकों पर नियंत्रित परागण विधियों का प्रभाव पर भी शोध हुए और आशातीत परिणाम मिले । धान के अच्छाद सड़ण का प्रबंधन, मिलीजुली युक्तियों का य्प्योग करके गेहूं में अनेक रोगों के प्रबंध की कार्यनीति, सोयाबीन के पीला चित्ती धब्बा विषाणु के बीज संचारित होने तथा बीज के वाहित होने की प्रकृति को समझना, यांत्रिक प्रसंस्करण के माध्यम से मसूर की एल ४०७६ किस्म के ब्रुकिड से संक्रमित बीजों का प्रबंधन किया गया । 2017-18 में लगभग 1195 टन बीज उत्पदान प्राप्त किया गया जिसमें नई दिल्ली स्थित बीजोत्पादन इकाई तथा तीन क्षेत्रीय केंद्र नामतः करनाल, इंदौर और पूसा बिहार का सम्मिलित योगदान रहा ।
  • बीज गुणवत्ता सम्बन्धी अध्ययन के अंतर्गत चावल में बीजान्कुरण : ट्रांसक्रिप्टॉम विश्लेषण एवं हार्मोन आमापन, बीज भण्डारण अवधि का एस्कोर्बएट पूल पर प्रभाव तथा सोयाबीन के आरआईएल में जीवनक्षमता, फस्लोतर-पूर्व अंकुरण के प्रति सहिष्णुता केलिए मूंग का लक्षण- वर्णन, मूंग में बीज के कठोरपन के मूल्यांकन की एक वैकल्पिक विधि, परंपरागत और गुणवत्ता प्रकार की भारतीय सरसों में उन्नत भंडारशीलता केलिए बीज वृधि उपचार, गेहूं के संकरों के जनक वंशक्रमों में फसल की अन्तिम अवस्था के दौरान उच्च तापमान का प्रभाव, गेहूं में पौध की पुष्टता सम्बन्धी गुणों पर जी ए अनुक्रियाशील निम्नीकृत ऊंचाई वाले जीनों का प्रभाव पर शोध किये गए. अरहर में बीज उपज और गुणवत्ता संबंधी कारकों के सन्दर्भ में नियंत्रित परागण विधियों का मूल्यांकन किया गया. भारत में सोयाबीन पर सोयाबीन के पीले चित्ती विषाणु की प्रथम रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी जिसे एक बहुत प्रतिष्ठित जर्नल में स्थान मिला. धान में अच्छाद सड़ण उत्पन्न्कारने वाले कारक सारोक्लेडियम ओराईजी में विविधता का आकृतिक एवं आण्विक लक्षण वर्णन किया गया. वर्ष 2018-19 में लगभग 1151 टन बीज उत्पदान प्राप्त किया गया जिसमें नई दिल्ली स्थित बीजोत्पादन इकाई तथा तीन क्षेत्रीय केंद्र नामतः करनाल, इंदौर और पूसा बिहार का सम्मिलित योगदान रहा ।
  • बीज गुणवत्ता सम्बन्धी अध्ययन के अंतर्गत धान के संकरों एवं जनकों में बीज ओज का मूल्यांकन किया गया, अत्याधुनिक तकनीक जी वास के माध्यम से धान में भण्डारण की अवस्था में आर सी जीन का पता लगाया गया, बाजरे के सी एम् एस लाइन्स में आनुवांशिक शुद्धता का मूल्यांकन किया गया, मूंग में बीज सुसुप्तावस्था अवस्था पर शोध, भारतीय सरसों में बीज सुसुप्तावस्था व्यवहार पर शोध, विशिष्ट मक्का, अरहर एवं सोयाबीन में बीज प्राइमिंग पर शोध, गेहूं में उच्च ताप का दुष्प्रभाव दूर करने की नीति पर शोध एवं सोयाबीन पीला चित्ती मोज़ेक के बीज के द्वारा फैलने पर शोध इस सम्भाग के मुख्य अनुसन्धान उपलब्धियां रहीं । वर्ष 2019-20 में लगभग 1491 टन बीज उत्पदान प्राप्त किया गया जिसमें नई दिल्ली स्थित बीजोत्पादन इकाई तथा तीन क्षेत्रीय केंद्र नामतः करनाल, इंदौर और पूसा बिहार का सम्मिलित योगदान रहा जो की अब तक का सर्वाधिक उत्पादन है । यह इस संभाग के अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र कुमार यादव की दूरदर्शिता एवं सूझ बूझ का परिणाम है । उनके कुशल नेतृत्व के कारण ही ऐसा संभव हो पाया है ।