अनुसंधान विषय

  • खेत मशीनरी एवं शक्ति, कटाई उपरांत अभियांत्रिकी, संरक्षित खेती एवं नवीनीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी / उपकरण के विकास पर अनुसंधान
  • खेत शक्ति एवं उपकरण, कृषि संरचनाओं एवं प्रसंस्कृत अभियांत्रिकी एवं मृदा व जल संरक्षण अभियांत्रिकी विषयों में स्नातकोत्तर अध्ययन
  • उन्नत उपकरण / प्रौद्योगिकी का प्रचार- प्रसार :
    • प्रसार एवं कृषि उद्योग सम्पर्क कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि मशीनरी को बढ़ावा
    • उन्नत कृषि उपकरणों के प्रोटोटाइप का उत्पादन
    • कृषि अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी पर किसानों, ग्रामीण कारीगरों, प्रसार कार्मिकों एवं विषय विशेषज्ञों को प्रशिक्षण

 

अनुसंधान

          संभाग द्वारा विकसित इक्यावन (51) उपकरण/प्रौद्योगिकियां व्यावसायिक स्तर पर उपलब्ध हैं और इनमें से कुछ उपयोगकर्ताओं को बेची गईं हैं। इन मशीनों के उपयोग से दक्षता में वृद्धि हुई है, लगने वाले श्रम में कमी आई है और ये लागत प्रभावी व किफायती भी सिद्ध हुई हैं। बिजाई और रोपाई के लिए उपयोग में आने वाले कुछ महत्वपूर्ण उपकरण हैं :- भिण्डी रोपाई यंत्र, खरपतवार निकालने व बिजाई करने का यंत्र, पूर्व अंकुरित धान बिजाई यंत्र तथा आलू रोपाई यंत्र, पशु-चालित समेकित टूलबार, खेतों से ठूंठ निकालने के यंत्र, पहियेदार दस्ती हो तथा उद्यान के लिए छिड़काव यंत्र । कटाई/तुड़ाई उपरान्त कार्यों के लिए विकसित किये गए यंत्रों में शामिल हैं :- बहु-फसली सब्जी एवं फल ग्रेडर, धान गहाई यंत्र, चावल पॉलिश करने का यंत्र, मिनी दाल मिल, शक्तिचालित गहाई यंत्र, सूरजमुखी का बीज छिलाई यंत्र, फलों का छिलका उतारने की युक्ति, सूरजमुखी बीजों का ग्रेडर व सफाई यंत्र, टमाटर के बीज निकालने की युक्ति, पशुओं के चारा ब्लॉक बनाने वाली मशीन, दो कतार वाले बीज रोपाई यंत्र की डिजाइन एवं विकास, आम की तुड़ाई के लिए उन्नत युक्ति का विकास, तथा पॉस्टयूरल डाइनोमीटर का विकास आदि। इनके अतिरिक्त तत्काल दाल तैयार करने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित की गई, भूजल पुनर्भरण पर अध्ययन किये गए और सिंचाई कमाण्ड क्षेत्रों में जल भराव की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भूमि जल निकासी संबंधी अध्ययन किये गए। भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लिए ग्रीनहाउस की उचित डिजाइनें तैयार की गईं, ग्रीनहाउस में समेकित पर्यावरण के लिए एक सूक्ष्म नियंत्रक विकसित किया गया तथा साथ ही वाष्पन शीतलन स्थिति के अन्तर्गत उष्मीय पर्यावरण के अध्ययन हेतु कम्प्यूटर पर आधारित एक गणितीय मॉडल भी विकसित किया गया।