संरक्षित खेती और प्रौद्योगिकी

डॉ. इन्द्र मणि
प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक
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इस केन्द्र की स्थापना 1998-99 में प्रदर्शन फार्म के रूप में की गई थी और इसे जनवरी 2000 में भारत-इज़राइल परियोजना के रूप में भारत सरकार द्वारा कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और इज़राइल की राज्य सरकार द्वारा सेंटर फार इंटरनेशनल कोऑपरेशन (एमएएसएचएवी) तथा सीआईएनएडीसीओ के सहयोग से संयुक्त रूप से परियोजना के रूप में शुरु किया गया। परियोजना फार्म का उद्देश्य उन्नत गुणवत्ता एवं उत्पादकता के लिए बागवानी फसलों की परिनगरीय खेती से जुड़ी गहन एवं वाणिज्यिक दृष्टि से उपयोगी विभिन्न प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना था। इस केन्द्र में अनुसंधान एवं विकास कार्य के नोडल केन्द्र के रूप में कार्य सम्पन्न करने तथा उपरोक्त पहलुओं पर प्रशिक्षण देने के साथ-साथ प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर विशेष बल दिया गया। इस परियोजना की स्थापना फूलों, सब्जियों तथा फलों को उगाने की उच्च प्रौद्योगिकी वाली विधियों को परिनगरीय खेती के संदर्भ में प्रदर्शित करने के लिए हुई थी। इस प्रौद्योगिकी का उद्देश्य ड्रिप सिंचाई (फर्टिगेशन) और बागवानी फसलों की संरक्षित खेती के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करते हुए परिशुद्ध एवं नियंत्रित निवेश वाली कृषि पर अनुसंधान केन्द्रित करना था। परिषद द्वारा नौंवी योजना के दौरान एक पृथक ईएफसी को स्वीकृति प्रदान की गई और भारत तथा इजराइल दोनों सरकारों द्वारा तीन वर्ष की अवधि के लिए कुल 995 लाख रुपये का बजट परिव्यय रखा गया जिसमें से भारत का हिस्सा 301.55 लाख रुपये का तथा इजराइल का हिस्सा 684.81 लाख रुपये का था। इजराइल की सहायता से ग्रीन हाउसों का निर्माण, ड्रिप सिंचाई प्रणाली की तैयारी, कुछ चुने हुए फार्म उपकरणों व पादप सामग्री की खरीद तथा परियोजना के दोनों पक्षों से दो विशेषज्ञ परामर्शदाताओं की नियुक्ति जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। भारतीय घटक में सम्पूर्ण सहायक बुनियादी सुविधाओं का विकास, वाहन, फार्म उपकरण, पैकेज गृह, जनशक्ति आदि जैसे घटक सम्मिलित थे। इस ईएफसी को 1.9.1998 को स्वीकृति प्रदान की गई और इसके तत्काल बाद परियोजना से जुड़ी बुनियादी सुविधाएं विकसित करने का कार्य आरंभ हुआ।

गत वर्षों में इस केन्द्र ने उल्लेखनीय प्रगति की है तथा विभिन्न प्रकार की संरक्षित संरचनाओं और विभिन्न फसलों की उत्पादन प्रौद्योगिकियों का विविधीकरण किया है जिसके अंतर्गत उच्च तकनीक के नर्सरी प्रबंधकों को भी मानकीकृत किया गया है। बुनियादी संरचनाओं में सब्जियों और फूल वाली फसलों के लिए जलवायु नियंत्रित एवं प्राकृतिक रूप से वातायित ग्रीन हाउस, नेट हाउस, नर्सरी सुविधाएं, खुले खेत, ड्रिप सिंचाई प्रणाली तथा पैकेजिंग एवं प्रशिक्षण हाल प्रमुख हैं। इस केन्द्र के अधिदेश इस प्रकार हैं –

  • विभिन्न संरक्षित कृषि प्रौद्योगिकियों के मूल्यांकन हेतु अनुसंधान एवं विकास कार्य सम्पन्न करना तथा विभिन्न श्रेणी के किसानों के लिए उन्हें अनुकूलनशील बनाना।
  • उन्नत गुणवत्ता एवं उत्पादन के लिए बागवानी फसलों की व्यावसायिक रूप से अभिमुख परिनगरीय एवं गहन खेती के लिए विभिन्न प्रकार की उपयुक्त प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन।
  • मानव संसाधन विकास एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।