डॉ. वी. आर. सागरखाद्य विज्ञान एवं फसलोत्तर प्रौद्योगिकी संभाग
अध्यक्ष
फोन : 011-25848428
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तुड़ाई उपरांत प्रौद्योगिकी संभाग को 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2002 में बहुविषयक संकाय के साथ स्वतंत्र दर्जा मिला । इससे पहले यह फल एवं औद्यानिक प्रौद्योगिकी संभाग का हिस्सा था । नवम्बर 2013 में इसे खाद्य विज्ञान एवं फसलोत्तर प्रौद्योगिकी नाम दिया गया । यह संभाग खाद्य विज्ञान के फसलोत्तर प्रबंधन एवं मूल्यवर्धन पर कार्य कर रहा है । राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली द्वारा खाद्य विज्ञान एवं खाद्यान्न व बागवानी फसलों के फसलोत्तर प्रबंधन को मान्यता देने के कारण अब प्रतिभावान युवा अपनी आजीविका को आगे बढ़ाने हेतु कृषि विज्ञान के इस नए एवं उभरते विषय की ओर आकर्षित होंगे ।

संभाग का मिशन

बागवानी एवं कृष्य फसलों में फसलोत्तर क्षति कम करना एवं मूल्यवर्धन  

संभाग का अधिवेश

  • उत्पादन एवं फसलोत्तर प्रबंधन का एकीकरण ।
  • भाण्डारण हेतु उपयुक्त प्रोटोकॉल का विकास ।
  • प्रसंस्करण द्वारा मूल्यवर्धन ।
  • पैकिंग सामग्री का डिजाईन, विकास एवं मूल्यांकन तथा तुड़ाई हेतु अल्प-लागत उपकरण व मशीनों का विकास ।
  • प्रसंस्कृत उत्पादों में न्यूट्रास्यूटिकल्स एवं प्रति ऑक्सीकारक ।
  • स्नातकोत्तर एवं विद्या वाचस्पति के स्तर पर मानव संसाधन विकास ।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांरण के लिए प्रषिक्षण एवं उद्यमिता हेतु प्रोग्राम ।
  • पब्लिक एवं प्राईवेट सेक्टरों हेतु सलाहकारी परामर्ष ।

चालू आंतरिक अनुसंधान परियोजनाएं

  • फल एवं सब्जियों में फसलोत्तर क्षति कम करने एवं गुवत्ता बनाए रखने हेतु तुड़ाई-पूर्व एवं उपरांत प्रबंधन तकनीकों का एकीकरण ।
  • बागवानी, धान्य एवं दलहनी फसलों से न्यूट्रास्यूटिकलयुक्त एवं कार्यात्मक भोज्यों का विकास ।
  • भारत से ताजे फल एवं सब्जियों के निर्यात हेतु प्रोटोकॉल का विकास ।